Good Habits: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में हम इतनी जल्दी में होते हैं कि रुककर सोचने का वक्त ही नहीं निकाल पाते। रोज़ृ का वही भागदौड़, वही तनाव, वही फैसले और इसी में हम भूल जाते हैं कि हम कुछ सीख भी रहे हैं या नहीं। लेकिन अगर आप हर दिन के अंत में सिर्फ 5 से 10 मिनट निकालें, तो ये छोटा-सा समय आपकी सोच, भावनाओं और फैसलों को पूरी तरह बदल सकता है। इसे कहते हैं सेल्फ रिव्यू, यानी खुद से सवाल पूछना और जवाब ढूंढना।
हर दिन है एक सीख
हम सभी दिनभर बहुत कुछ करते हैं, कई फैसले लेते हैं, कई लोगों से मिलते हैं, काम पूरा करते हैं या बीच में छोड़ देते हैं।लेकिन अगर हम इन सब अनुभवों से कुछ नहीं सीखते, तो वही गलतियां बार-बार दोहराते हैं। सेल्फ रिव्यू हमें रुककर यह सोचने का मौका देता है कि हमने दिन में क्या अच्छा किया, क्या गलती की और क्या बेहतर किया जा सकता था।
सिर्फ 3 सवाल जो बदल सकते हैं आपकी सोच
रोज रात को खुद से बस तीन आसान सवाल पूछिए:
क्या आज मैंने अपना बेस्ट दिया?
क्या कुछ ऐसा था जिसे मैं और बेहतर कर सकता था?
क्या कोई आदत है जिसे मुझे बदलना चाहिए?
इन सवालों के जवाब आपको खुद के और करीब लाते हैं। यह आदत न सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि आपके अंदर के डर और पछतावे को भी धीरे-धीरे खत्म करती है।
दिग्गज भी मानते हैं सेल्फ रिव्यू की ताकत
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और क्रिकेटर विराट कोहली जैसे लोग भी सेल्फ रिव्यू को अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते हैं। विराट कोहली खुद कह चुके हैं कि हर मैच के बाद मैं खुद से पूछता हूं कि और क्या बेहतर किया जा सकता था। जब इतने सफल लोग खुद से सवाल करते हैं, तो हम क्यों नहीं?
कैसे करें सेल्फ रिव्यू?
शांत समय चुनें: रात को सोने से पहले 5-10 मिनट का शांत माहौल बनाएं।
खुद से ईमानदारी से बात करें: दिनभर के काम, सोच और फीलिंग्स पर सवाल करें।
लिखें या सोचें: डायरी में लिख सकते हैं या मन में सोच सकते हैं, दोनों फायदेमंद हैं।
खुद को दोष न दें: गलती मानें लेकिन खुद को सज़ा न दें, बल्कि सुधार का मौका समझें।
हर दिन थोड़ा बेहतर बनें: एक दिन में परफेक्ट न बनें, लेकिन हर दिन 1% सुधार करें।
सेल्फ रिव्यू और ओवरथिंकिंग में फर्क समझें
सेल्फ रिव्यू का मतलब बार-बार एक ही बात को दोहराकर खुद को थकाना नहीं है। इसका मकसद है सोच को साफ करना, निर्णयों में स्पष्टता लाना और भावनात्मक मजबूती हासिल करना। इससे आपका आत्म-नियंत्रण बढ़ता है और आप धीरे-धीरे खुद को बेहतर बनाना शुरू करते हैं।
खुद से सच्ची मुलाकात का नाम है सेल्फ रिव्यू
दिनभर की दौड़-भाग के बाद जब आप खुद से चुपचाप बात करते हैं, तो वो पल सबसे सच्चा होता है। ये प्रैक्टिस आपके अंदर की अच्छाइयों और कमियों दोनों को दिखाती है बिना जजमेंट के। तब समझ आता है कि जिंदगी में परफेक्ट होना जरूरी नहीं है, बल्कि हर दिन थोड़ा बेहतर होना ही असली सफलता है।
छोटे सवाल, लेकिन जिंदगी बदलने वाले जवाब
‘क्या अच्छा किया?’, ‘क्या सुधार कर सकता था?’, ‘कल क्या बेहतर करूंगा?’ ये सवाल भले छोटे लगें, लेकिन इनके जवाब आपके सोचने, जीने और फैसले लेने के तरीके को बदल सकते हैं। खुद से ईमानदारी से बात करना ही आत्म-ज्ञान की शुरुआत है। यही वो सच्ची बातचीत है, जो आपको हर दिन एक बेहतर इंसान बनाती है शांत, समझदार और आत्मविश्वासी।