केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए जल्द ही खुशखबरी आने वाली है। केंद्र सरकार अगले सप्ताह 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन की घोषणा कर सकती है। यह फैसला बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले और कैबिनेट की मंजूरी के लगभग दस महीने बाद लिया जा रहा है। इस आयोग का गठन केंद्र के लगभग 1 करोड़ 18 लाख कर्मचारियों और पेंशनर्स के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
नए वेतन और पेंशन नियमों पर बनेगा खाका
8वां वेतन आयोग केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए नए वेतन और पेंशन ढांचे से जुड़ी सिफारिशें करेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार ने आयोग के Terms of Reference (ToR) यानी कार्यक्षेत्र, अध्यक्ष और सदस्यों के नाम लगभग तय कर लिए हैं। यह आयोग हर दस वर्ष में वेतन और पेंशन संशोधन से जुड़ी सिफारिशें तैयार करता है और पूरी प्रक्रिया की निगरानी करता है।
रिपोर्ट आने में लग सकता है एक साल
इस बार आयोग का गठन पिछले वेतन आयोगों की तुलना में लगभग एक वर्ष की देरी से किया जा रहा है। माना जा रहा है कि आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने में 6 से 12 महीने का समय लग सकता है। रिपोर्ट के लागू होने के बाद इसके प्रभाव 1 जनवरी 2026 से पिछली तारीख से लागू माने जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष 16 जनवरी को आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। इस प्रक्रिया में राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) से भी सुझाव लिए गए हैं।
कर्मचारियों के लिए बड़ा फायदा, लेकिन सरकार पर बढ़ेगा बोझ
8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने से कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी होगी, जिससे लोगों की क्रय शक्ति और बाजार में खपत बढ़ेगी। हालांकि, इसका असर सरकारों की वित्तीय स्थिति पर भी पड़ेगा, क्योंकि राज्य सरकारें और PSU संस्थान आमतौर पर केंद्र के फैसले के अनुरूप ही अपने कर्मचारियों का वेतन संशोधन करती हैं। वेतन आयोग की सिफारिशें बाध्यकारी नहीं होतीं, लेकिन केंद्र सरकार आमतौर पर उन्हें कुछ संशोधनों के साथ स्वीकार करती है।
7वें वेतन आयोग से 23.55% बढ़ा वेतन
7वां केंद्रीय वेतन आयोग 28 फरवरी 2014 को गठित हुआ था और इसे रिपोर्ट तैयार करने के लिए 18 महीने का समय दिया गया था। आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2016 से लागू की गईं। इससे कर्मचारियों के वेतन और पेंशन में औसतन 23.55% की वृद्धि हुई। हालांकि, इसके चलते सरकार पर 1.02 लाख करोड़ रुपये सालाना का अतिरिक्त वित्तीय बोझ बढ़ गया, जो GDP का लगभग 0.65% था। इससे उस समय का वित्तीय घाटा 3.9% से घटाकर 3.5% तक लाना मुश्किल हो गया था।
वित्तीय असर और भविष्य की नीति पर पड़ेगा असर
8वें वेतन आयोग की सिफारिशों का असर भारत के नए मध्यम अवधि के वित्तीय रोडमैप (Medium-Term Fiscal Roadmap) और 16वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा। 16वां वित्त आयोग वित्तीय वर्ष 2027 से 2031 (FY27–FY31) तक के लिए राज्यों को टैक्स शेयरिंग और ग्रांट्स की सिफारिश करेगा।
इसके साथ ही, केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों के लाखों कर्मचारी भी वेतन सुधार का लाभ उठाएंगे, क्योंकि अधिकांश राज्य सरकारें केंद्र के वेतन आयोग की सिफारिशों का ही अनुसरण करती हैं।