कर्नाटक हाई कोर्ट ने सिनेमा प्रेमियों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसने पूरे देश में मूवी टिकटों की कीमतों को लेकर चल रही बहस को नया मोड़ दे दिया है। कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश जारी किया, जिसमें राज्य के सिनेमाघरों को निर्देश दिया गया है कि वे सभी फिल्मों के टिकटों की कीमत को अधिकतम 200 रुपये तक सीमित रखें। यह फैसला न केवल सिनेमा दर्शकों के लिए राहत की सैर है, बल्कि यह मनोरंजन उद्योग में भी एक बड़ा बदलाव लाने की क्षमता रखता है।
फैसले की पृष्ठभूमि
कर्नाटक हाई कोर्ट का यह फैसला एक जनहित याचिका के जवाब में आया, जिसमें सिनेमाघरों द्वारा टिकटों की अत्यधिक कीमतों की शिकायत की गई थी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि बढ़ती टिकट कीमतों ने सिनेमा को आम लोगों, खासकर मध्यम और निम्न-आय वर्ग, के लिए पहुंच से बाहर कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सिनेमाघर मालिकों, फिल्म निर्माताओं और राज्य सरकार के पक्षों को ध्यान से सुना। इसके बाद, कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि सभी सिनेमाघरों में टिकट की कीमतें एक समान और किफायती होनी चाहिए।
200 रुपये की टिकट सीमा का क्या अर्थ है?
इस फैसले के तहत, कर्नाटक के सभी सिनेमाघरों को अब अपनी टिकट की कीमतें 200 रुपये से अधिक नहीं रखने का आदेश दिया गया है। यह नियम सिंगल-स्क्रीन थिएटर्स से लेकर मल्टीप्लेक्स तक, सभी पर लागू होगा। चाहे फिल्म कोई ब्लॉकबस्टर हो या छोटे बजट की, दर्शकों को अब एक निश्चित और किफायती कीमत पर सिनेमा का आनंद लेने का मौका मिलेगा।
सिनेमाघरों और निर्माताओं की प्रतिक्रिया
हालांकि यह फैसला दर्शकों के लिए खुशी की बात है, लेकिन कुछ सिनेमाघर मालिकों और फिल्म निर्माताओं ने इस पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि टिकट की कीमतों में कमी से उनकी आय पर असर पड़ सकता है, खासकर उन फिल्मों के लिए जिनका निर्माण लागत बहुत अधिक होती है। मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ने इस फैसले के खिलाफ अपील करने की बात कही है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यह नियम उपभोक्ता हित में लागू किया गया है।