टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी, जीएसटी स्ट्रक्चर होगा और आसान

वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जानकारी दी कि उसने मंत्रियों के समूह (GOM) को एक नए जीएसटी ढांचे का प्रस्ताव सौंपा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, इस नए सिस्टम में केवल 5% और 18% के दो ही टैक्स स्लैब होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ऐलान किया था कि जीएसटी सुधार दिवाली से पहले लागू किए जाएंगे, जिससे छोटे उद्योगों पर टैक्स का बोझ कम होगा और कारोबारियों को राहत मिलेगी।

तीन मुख्य आधार पर तैयार किया गया प्रस्ताव

वित्त मंत्रालय के अनुसार, जीओएम को दिया गया यह प्रस्ताव तीन प्रमुख बिंदुओं पर आधारित है—

  • जीएसटी ढांचे में सुधार
  • टैक्स दरों को सरल बनाना
  • लोगों के जीवन को आसान बनाना

इसके तहत आम जरूरत की वस्तुओं और महत्वाकांक्षी (aspirational) सामानों पर टैक्स घटाने की सिफारिश की गई है। टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने के लिए चार स्लैब को घटाकर केवल दो स्टैंडर्ड और मेरिट में बांटने का सुझाव है। वहीं, विशेष दरें केवल कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर ही लागू होंगी।

मौजूदा जीएसटी दरें और बदलाव की योजना

फिलहाल देश में चार प्रकार के जीएसटी स्लैब लागू हैं, 5%, 12%, 18% और 28%। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में सितंबर में जीएसटी परिषद की बैठक होगी, जिसमें जीओएम के इस प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। मंत्रालय का कहना है कि compensation cess समाप्त होने के बाद अब सरकार के पास ज्यादा लचीलापन है, जिससे टैक्स दरों को स्थिर और सरल करना संभव होगा।

कारोबार और उद्योग जगत को संभावित फायदे

  • नया जीएसटी ढांचा लागू होने के बाद inverted duty structure की समस्या खत्म होगी, जिससे टैक्स वर्गीकरण (classification) पर होने वाले विवाद कम होंगे। स्थिर टैक्स दरों से बिजनेस प्लानिंग आसान हो जाएगी।
  • MSME और स्टार्टअप्स के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और प्री-फिल्ड रिटर्न की सुविधा उपलब्ध होगी, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होगी।
  • एक्सपोर्टर्स के लिए ऑटोमेटेड रिफंड प्रक्रिया से पारदर्शिता और गति आएगी।

रेवेन्यू और अर्थव्यवस्था पर असर

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी कलेक्शन 9.4% की वृद्धि के साथ 22.08 लाख करोड़ रुपये के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच चुका है। सरकार का मानना है कि नए सुधार लागू होने से खपत बढ़ेगी, आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी और देश का फॉर्मलाइजेशन और गति पकड़ेगा। इसके साथ ही रेवेन्यू कलेक्शन और इकोनॉमी दोनों को मजबूती मिलेगी।