स्वतंत्र समय, भोपाल
तत्कालीन शिवराज सरकार ने सरकारी आवास और जमीनों से झुग्गियों ( slum ) को हटाकर खाली कराई गई जमीनों पर मॉल और कॉप्लेक्स बनाने की अनुमतियां धड़ल्ले से दी गई है। बोर्ड ऑफिस के पास स्थित जिस संजय नगर की झुग्गियों को हटाया गया था, उस 4 से 5 एकड़ जमीन पर अब मॉल तना हुआ है। टीटीनगर से हटाए गए सरकारी आवासों के स्थान पर सालों से गेमन इंडिया का काम पूरा नहीं हुआ है।
भोपाल में करीब सवा लाख से अधिक slum
राजनीतिक दल पहले वोट पाने के लिए सरकारी जमीनों पर लोगों को बसाते है और सालों उनसे वोट लेकर चुनाव जीतते हैं, लेकिन सरकार की मंशा हर बार ऐसे लोगों को आशियाने उजाडऩे की रहती है। भोपाल में करीब सवा लाख से अधिक झुग्गियां ( slum ) बसी हुई हैं और इन झुग्गीवासियों को मप्र के मुख्यमंत्री रहे अर्जुनसिंह, दिग्विजय सिंह, शिवराज सिंह, बाबूलाल गौर ने पट्टे बांटे हैं। अब ऐसे लोगों को सालों से बसे हुए घरों से नए मकान बनाकर देने की तैयारी मोहन सरकार ने कर ली है। सीएम डॉ. यादव ने पिछले दिनों भोपाल शह के विकास को लेकर की समीक्षा में इसके संकेत दिए। उन्होंने भोपाल शहर को झुग्गी मुक्त बनाने के लिए अफसरों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए है।
भोपाल में 1800 एकड़ में फैली हैं झुग्गियां
राजधानी भोपाल में राजभवन से लगे इलाके में 17 एकड़ में फैली रोशनपुरा बस्ती हो या बाणगंगा, भीमनगर, विश्वकर्मा नगर जैसी टॉप 8 झुग्गी बस्तियां। ये सभी शहर के बीच प्राइम लोकेशंस पर करीब 300 एकड़ में फैली हुई हैं। इसके अलावा राहुल नगर, दुर्गा नगर, बाबा नगर, अर्जुन नगर, पंचशील, नया बसेरा, संजय नगर, गंगा नगर, बापू नगर, शबरी नगर, ओम नगर, दामखेड़ा, उडिय़ा बस्ती, नई बस्ती, मीरा नगर जैसी कुल 388 झुग्गगी बस्तियां शहर में हैं। इस तरह इन झुग्गियों की बसाहट से करीब 1800 एकड़ सरकारी जमीन पर झुग्गीवासियों ने कब्जा कर रखा है।
सालों से विकसित हो रहा गेमन इंडिया
न्यू मार्केट टीटीनगर के पास गृह निर्माण मंडल को कॉप्लेक्स और बहुमंजिला आवास बनाने के लिए सरकार ने जमीन आवंटित की थी। बाद में इस जमीन को गेमन इंडिया के लिए सस्ते दामों पर दे दिया गया और सालों से व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स तथा बहुमंजिला आवास बनाने का काम चल रहा है, लेकिन यह अभी तक नहीं बन पाया है। जबकि इस जमीन पर सरकारी आवासों में अधिकारी और कर्मचारी निवास करते थे। इसी तरह माशिमं के पास बनी संजय नगर झुग्गी को यहां से सरकार ने हटाकर मॉल बनाने की मंजूरी दी। यह सरकार जमीन भी निजी हाथों में चली गई है। शहर में ऐसे कई प्रोजेक्ट सरकारी और झुग्गियों की जमीनों पर निर्मित कराए जा रहे हैं।