स्वतंत्र समय, भोपाल
मप्र में निर्माण कार्यों के ठेके लेने वाली कंपनियों तथा ठेकेदारों ( contractors ) की स्थिति पेमेंट के अभाव में बिगड़ती जा रही है। पहले तो उनकी अमानत राशि नहीं लौटाई जाती और ठेका मिल भी पाए तो सालों काम पूरा करने के बाद भी बिल मंजूर नहीं होते। सरकार की आर्थिक स्थिति खराब होने का असर ठेकेदारों पर भी पड़ रहा है। खासकर छोटे ठेकेदारों की स्थिति बहुत दयनीय है। इस मामले में सरकार अब चेती है और उनकी अमानत राशि लौटाने के निर्देश दिए हैं।
78 contractors ने नहरों के मेंटेनेंस और छोटे विकास कार्य किए
प्रदेश में निर्माण कार्य कराने वाली सरकारी एजेंसी पीडब्ल्यूडी, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, जल संसाधन, पीएचई तथा नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधीन हजारों ठेकेदार ( contractors ) निर्माण कामों में लगे हुए हैं। लेकिन अफसर और मंत्रियों के चहेते ठेकेदार बिना काम ही एडबांस राशि लेकर रफू चक्कर हो जाते हैं, वहीं सरकारी नियमों के तहत काम करने वाले ठेकेदारों को पेमेंट को लेकर काफी मशक्कत करनी पड़ती है। खासकर छोटे ठेकेदारों से सरकार ने पांच साल पहले 20 लाख से कम लागत वाले कार्यों का ठेका देते समय जो अमानत राशि जमा करवाई थी, वह आज तक वापस नहीं लौटाई है। जल संसाधन में ही ऐसे 78 ठेकेदारों ने प्रदेश में नहरों के मेंटेनेंस सहित अन्य छोटे विकास कार्य किए थे।
इन स्थानों पर ठेकेदारों ने किए काम
रीवा, होशंगाबाद, भोपाल, डबरा, जबलपुर, इटारसी, भिंड, सतना, राजगढ़, रायसेन, शिवपुरी, ब्यावरा, सिरमौर, अलीराजपुर, गुना, कटनी, सिंगरौली, कटंगी, केवलारी, डिंडौरी, अशोकनगर, सागर, नरसिंहपुर, नसरुल्लागंज, खरगोन, खंडवा, बड़वानी आदि जिलों में ठेके लिए थे।
अब सरकार ने दिए कार्यपालन यंत्रियों को निर्देश
जल संसाधन विभाग के अधीन 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2019 के बीच 18 टेंडर जारी हुए थे, लेकिन इन ठेकेदारों द्वारा काम पूरा किए जाने के बाद भी अमानत राशि नहीं लौटाई गई है। वहीं, 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2020 के बीच 49 टेंडर जारी किए गए। इसी तरह 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2021 के बीच 40 टेंडर जारी हुए। 2022 में 20 लाख के कार्यों के 44 टेंडर जारी हुए। वर्ष 2023 में सिर्फ 20 टेंडर हुए और 2024 में 6 टेंडर पर काम पूरा करने वाले ठेकेदारों द्वारा जमा कराई गई अमानत राशि लौटाने की चिंता अब सरकार को सता रही है।