सड़क दुर्घटना पर डेढ़ लाख तक का इलाज कराएंगी सरकार- सड़क सुरक्षा का क्रांतिकार कदम

देश- प्रदेश में जैसे- जैसे विकास की गति तेज हुई है उस तरह सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं भी बढ़ गई। इन सड़क हादसों में परिवार जनों के तुरंत ना पहुंच पाने और निकटतम प्रायवेट अस्पतालों के द्वारा इलाज के रुपए ना मिलने के कारण कई प्राइवेट अस्पताल बस प्राथमिक इलाज करके ही गंभीर घायलों को रैफर कर देते है ऐसी परिस्थितियों में तुरंत इलाज ना मिलने के कारण कई गंभीर घायल दम तोड़ देते है। यही सड़क दुर्घटना में असमय मुत्यू होने के बाद कई परिवार तबाह हो जाते है। ऐसे ही कई मानविय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए केन्द्र सरकार ने “सड़क दुर्घटना पीड़ितों का नकदी रहित उपचार योजना-2025″ की शुरुआत की है। यह स्कीम आम जनता के हित के लिए केन्द्र सरकार का क्रांतिकारी कदम” है। इस योजना के तहत एक पीड़ित को डेढ़ लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज मिलना तय किया गया है।

23 मई से लागू हो गई है योजना
केन्द्र सरकार के आदेश के अनुसार अभी देशभर के कई अस्पतालों में कर्मचारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और सीमित ट्रेनिंग के जरिए योजना की जानकारी दी गई है, यही कई अस्पताल संचालकों का कहना है कि कैशलेस इलाज का सिस्टम अभी अधूरा है। न तो क्लेम प्रक्रिया स्पष्ट है, न यह कि किस पोर्टल पर डाटा डालने की स्पष्ट जानकारी है ऐसे में इलाज के बाद बिल का भुगतान कैसे होगा इसको लेकर कुछ स्पष्ट नहीं हुआ है।  इसलिए योजना तो शुरू हो गई है लेकिन अस्पताल संचालक फिलहार किसी घायल को इस स्कीम का फायदा देना शुरू नहीं किया है। ऐसे में फिलहाल या तो मरीज आयुष्मान भारत योजना का सहारा ले रहे हैं या फिर इलाज के लिए जेब ढीली कर रहे हैं।

निजी अस्पतालों में नहीं हैं प्रयाप्त साधन
अस्पतालों में बुनियादी दिक्कतें भी कम नहीं है। जिसके चलते सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा हेड इंजरी और हड्डी फ्रैक्चर के मामले आते हैं, जिनमें न्यूरो सर्जन और ऑर्थो सर्जन की आवश्यकता होती है। ऐसे में कई अस्पतालों में फिलहार डॉक्टर ही मौजूद नहीं है।

कैशलेस इलाज तभी सफल, जब हो तैयारी
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि योजना के क्रियान्वयन के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है और लॉगिन आईडी-पासवर्ड बनाए जा रहे हैं ताकि मरीज के आते ही इलाज शुरू हो सके। मगर जब तक हर अस्पताल में पर्याप्त डॉक्टर, सुविधाएं और क्लेम प्रक्रिया का स्पष्ट रोडमैप नहीं होगा तब ये योजना ‘कागजों की योजना’ ही बनी रहेगी।