राम-कृष्ण के उत्कृष्ट प्रसंगों को कर्मकांड में डालना दुर्भाग्यपूर्ण : CM Mohan Yadav

स्वतंत्र समय, भोपाल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल तथा सीएम डॉ. मोहन यादव ( CM Mohan Yadav ) ने शुक्रवार को प्रशासन अकादमी में प्रदेश के 54 लाख छात्रों की यूनिफार्म खरीदने के लिए 324 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। साथ ही उन्होंने 14 शिक्षकों का सम्मान भी किया। यह राज्यस्तरीय सम्मान समारोह 5 सितंबर को आयोजित किया जाना था, लेकिन सीएम के पिता के निधन के कारण उस दिन कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, एसीएस जेएन कंसोटिया, लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता, स्कूल शिक्षा सचिव संजय गोयल भी मौजूद रहे।

CM Mohan Yadav बोले- चुनौती में शिक्षा परंपरा की भूमिका में आती है

सीएम डॉ. यादव ( CM Mohan Yadav ) ने कहा-हमें जब- जब चुनौती मिलती है तो हमारी शिक्षा परंपरा की भूमिका आती है। विद्यालय में दी गई शिक्षा और आदर्श वातावरण की भूमिका आती है। इसलिए हमारे दुश्मन सदैव उस बात को जानते हैं जिसके कारण से हम इन कष्टों से भी निकल कर आते हैं। पहले जब हमारे ऊपर आक्रमण हुए तो उन्होंने तक्षशिला को जलाया, नालंदा को जलाया हमारे विश्वविद्यालयों पर आक्रमण किया। ये 2000 साल पहले हुआ और 200 साल पहले भी हुआ। जब लॉर्ड मैकाले हमारे आए तो उन्होंने सारी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त कर दी। इसलिए उसको काल के प्रवाह में पता नहीं क्या-क्या कहते थे, भगवान राम और कृष्ण के जीवन के प्रसंगों को लेकर केवल उनको कर्मकांड की माइथोलॉजी में डाल देना ये दुर्भाग्य की बात है।

भारत ताकतवर बनना चाहता है…

मुख्यमंत्री ने कहा- हमारे लिए तो यह भारत का विश्व गुरु बनने का सपना है। कोई धनी बनना चाहता है, कोई ताकत वाला बनना चाहता, लेकिन भारत ने अपना मार्ग कौन सा खोजा है? भारत ने गुरु का मार्ग खोजा। गुरु अर्थात अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाली भावना। जिसको वेद वाक्य में कहा गया सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया….. यह जो उदाक्त भाव है जिसमें हम दुनियां के अंदर अज्ञानता को मिटाना चाहते हैं। अच्छाई और मानवता को स्थापित करना चाहते हैं।। लेकिन ये भावना आती कहां से है? ये आती है शिक्षा और ज्ञान के माध्यम से। ये गुरु परंपरा से आती है। उन्होंने कहा- हमें आईने की तरह सब कुछ साफ दिख रहा है। एक-एक करके पहले कही गई वह सारी बातें स्थापित होती जा रही थी, इसके कारण से भारत दुनिया में जाना जाता है।

माता पिता के बाद जीवन में शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान : राज्यपाल

राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने कहा कि मप्र के विकास के लिए कभी हवाई जहाज उड़ाते हैं, कभी उद्योग बटोरने के लिए जाते हैं। ऐसे मुख्यमंत्री मप्र को मिले हैं। हमारे सामने डॉ राधाकृष्णन जी का फोटो रखा है। उनसे कभी पूछा कि जन्मदिन मनाना है। तो उन्होंने कहा कि जन्मदिन मनाना है तो शिक्षकों का जन्मदिन मनाओं, यानि जन्मदिन मनाओं तो शिक्षकों को सम्मान मिले। राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से पूछा कि आपको जानना है तो किस पद से जानें वो साइंटिस्ट और शिक्षक भी थे। तो उन्होंने कहा मुझे जानना है तो मुझे शिक्षक के रुप में जानो। ऐसे शिक्षकों की जिम्मेदारी निभाने वाले शिक्षकों का आज सम्मान हुआ। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह, एसीएस जेएन कंसोटिया, लोक शिक्षण आयुक्त शिल्पा गुप्ता, स्कूल शिक्षा सचिव संजय गोयल भी मौजूद थे।