नए लेबर कोड में ग्रेच्युटी पर बड़ा बदलाव, अब 5 की जगह 1 साल की नौकरी पर भी मिल सकता है लाभ

केंद्र सरकार जल्द ही देश में चार नए श्रम कानून (New Labour Codes) लागू करने की तैयारी में है। इन कानूनों के लागू होने से नौकरीपेशा लोगों के लिए कई नियमों में बड़ा बदलाव आएगा, जिसमें ग्रेच्युटी का नियम भी शामिल है। सबसे अहम बदलाव यह हो सकता है कि कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए 5 साल का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

रिपोर्ट्स के अनुसार, नए नियमों के तहत अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में सिर्फ एक साल भी काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार हो जाएगा। यह बदलाव करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आ सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं या छोटी अवधि के लिए काम करते हैं।

मौजूदा ग्रेच्युटी नियम क्या हैं?

वर्तमान में, ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम, 1972 (Payment of Gratuity Act, 1972) के तहत किसी भी कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ तभी मिलता है, जब वह एक ही कंपनी में लगातार कम से कम 5 साल तक काम करता है। 5 साल से पहले नौकरी छोड़ने या बदलने पर कर्मचारी को ग्रेच्युटी का पैसा नहीं मिलता है, जिससे कई कर्मचारी इस लाभ से वंचित रह जाते हैं।

नए श्रम कानून में क्या है प्रस्ताव?

सरकार ने चार नए श्रम कोड- मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता को अंतिम रूप दिया है। इनमें से सामाजिक सुरक्षा संहिता (Social Security Code), 2020 में ग्रेच्युटी से जुड़े नियमों का उल्लेख है।

श्रम मामलों की संसदीय स्थायी समिति (Standing Committee on Labour) ने सिफारिश की थी कि ‘निश्चित अवधि के कर्मचारियों’ (Fixed-Term Employees) के लिए ग्रेच्युटी की पात्रता अवधि 5 साल से घटाकर 1 साल कर दी जाए। जानकारी के मुताबिक, सरकार ने इस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है और इसे नए कानून का हिस्सा बनाया है।

किन्हें मिलेगा इसका सबसे ज्यादा फायदा?

इस नए नियम का सबसे अधिक लाभ निश्चित अवधि यानी कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारियों को मिलेगा। अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी के साथ एक साल के निश्चित अवधि के कॉन्ट्रैक्ट पर भी काम करता है, तो उसे ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाएगा। यह उन कर्मचारियों के लिए भी फायदेमंद होगा जो प्रोजेक्ट-आधारित या छोटी अवधि की नौकरियां करते हैं। इससे गिग इकॉनमी और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को भी सामाजिक सुरक्षा का एक मजबूत आधार मिलेगा।

कैसे की जाती है ग्रेच्युटी की गणना?

ग्रेच्युटी की गणना एक तय फॉर्मूले के आधार पर की जाती है। इसका फॉर्मूला है: (अंतिम सैलरी) x (नौकरी के साल) x 15/26। यहां अंतिम सैलरी का मतलब आपकी बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) से है। इस फॉर्मूले में 15 का मतलब 15 दिन की सैलरी है, जबकि 26 महीने के कार्य दिवसों (रविवार को छोड़कर) को दर्शाता है। इसी आधार पर साल भर की नौकरी के लिए 15 दिन की सैलरी के हिसाब से ग्रेच्युटी तय की जाती है।

कब से लागू हो सकते हैं नए नियम?

हालांकि सरकार ने इन श्रम संहिताओं को संसद से पारित करा लिया है और राज्यों के साथ परामर्श प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है, लेकिन इन्हें लागू करने की कोई निश्चित तारीख अभी घोषित नहीं की गई है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार जल्द ही इस पर अंतिम फैसला लेकर इसे पूरे देश में लागू कर सकती है। इन कानूनों का उद्देश्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना और उन्हें बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना है। ग्रेच्युटी के नियम में बदलाव इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।