अब जीएसटी पंजीयन के लिए अब व्यापारियों को चक्कर लगाने और बार-बार दस्तावेज जमा कराने की झंझट में नहीं पड़ना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के दौरान अधिकारियो की मनमानी को रोकने के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए नई मानक कार्यप्रणाली (SOP) जारी कर दी है। इस SOP के तहत अब सिर्फ एक दस्तावेज—जैसे कि बिजली का बिल, जलकर की रसीद या संपत्ति कर का दस्तावेज ही काफी होगा।
अब तक क्या होता था?
कारोबारी जब GST पंजीयन के लिए आवेदन करते थे, तो अधिकारी ‘संदेह’ या ‘सत्यापन’ के नाम पर तमाम अतिरिक्त दस्तावेज मांग लेते थे। रसीद हाथ से बनी हो तो वह खारिज कर दी जाती थी, और मांग ली जाती थी रजिस्ट्री, लीज एग्रीमेंट, NOC वगैरह। नतीजा? दिन, हफ्ते और कभी-कभी महीने लग जाते थे GST नंबर पाने में।
सरकार ने दिए सख्त निर्देश
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBIC) ने देश भर के GST आयुक्तों को साफ-साफ निर्देश दिए हैं। अब एक वैध दस्तावेज ही काफी है जिसमें बिजली का बिल हो, संपत्ति कर की रसीद हो या जलकर की रसीद से ही रजिस्ट्रेशन हो जाएंगा। किराए के परिसर के मामले में सिर्फ किराया देने का प्रमाण और मालिक की अनुमति ही जरूरी होगी। रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट जैसी मांग अब नहीं की जा सकेगी। पार्टनरशिप, जॉइंट प्रॉपर्टी और अन्य मामलों के लिए भी स्पष्ट मापदंड तय कर दिए गए हैं।
सात दिन में रजिस्ट्रेशन देना होगा।
अधिकारियों को अब रजिस्ट्रेशन के लिए सिर्फ 7 दिन और किसी भी तरह का शक होने की स्थिति में 30 दिन से ज्यादा देरी नहीं करने के आदेश दिए है। चार्टर्ड अकाउंटें से मिली जानकारी के अनुसार यह फैसला छोटे और मध्यम कारोबारियों के लिए बड़ी राहत है। अब तक आवेदन निरस्त होना या “क्वेरी” आ जाना आम बात थी। लेकिन अब अफसरों को भी जवाबदेह बनाया गया है।