स्वतंत्र समय, भोपाल
नियमितिकरण की मांग को लेकर हजारों अतिथि शिक्षक ( Guest teacher ) गांधी जयंती पर राशन-पानी लेकर भोपाल पहुंच गए। अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन की चेतावनी दे रहे कई अतिथि शिक्षक भारी उमस के कारण पहले ही दिन बीमार पड़ गए। दिन भर अतिथि शिक्षकों को तितर-बितर करने में जुटी रही पुलिस ने गोली चलाने की चेतावनी भी दिखाई। मगर कोई भी मैदान छोडऩे को तैयार नहीं है, उनका कहना है कब्जा करने आए हैं, कब्जा करके जाएंगे।
Guest teacher बोले- अब शिक्षा मंत्री से नहीं होगी बात
इस बीच सीएम हाउस से आए बुलावे को भी अतिथियों ( Guest teacher ) ने यह कहते हुए नकार दिया कि अब शिक्षा मंत्री से कोई बात नहीं होगी, जब सीएम मिलेंगे तभी हम बात करने आएंगे। पूरे प्रदेश से करीब दस हजार अतिथि शिक्षक भोपाल आकर अंबेडकर मैदान में डट गए हैं। मैदान के चारों ओर पुलिस ने भारी बैरिकेडिंग कर रखी है। इससे कोई भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर भी नहीं जा पा रहे हैं। इस बीच राजधानी के उमस भर वातावरण में अतिथि शिक्षकों की तबीयत बिगडऩे लगी। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी ने धरना स्थल पर पहुंचकर अतिथि शिक्षकों के आंदोलन को समर्थन दिया। आमरण अनशन की चेतावनी देने वाले प्रदर्शनकारियों के अध्यक्ष केसी पवार की तबीयत भी बिगड़ गई। कई महिलाओं को उठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। डराने के लिए एक बैनर भी लगाया गया है, जिसमें गोली चलाने की चेतावनी भी लिखी है। मीडिया में यह बैनर आते ही पुलिस ने इसमें से गोली चलाने वाली लाइन को मोड़ दिया।
परमानेंट होकर ही छोड़ेंगे भोपाल
अतिथि शिक्षक संघ के अध्यक्ष पवार ने सभा में कहाकि सरकार शाम तक अपना रूख स्पष्ट नहीं करती है तो अतिथि शिक्षक भोपाल की सड़कों पर आमरण अनशन करेंगे। कोई भी भोपाल नहीं छोड़ेगा। पवार ने कहा कि हम कब्जा करने आए हैं, कब्जा करके जाएंगे। स्कूल शिक्षा मंत्री राव उदयप्रताप सिंह की बात के जवाब में यह नारा लगाते हुए अतिथि शिक्षकों ने सीएम हाउस से आए बुलावे को भी ठुकरा दिया। उन्होंने कहाकि अतिथियों का कोई भी डेलीगेशन सीएम को छोडक़र किसी मंत्री या अफसर से मिलने नहीं जाएगा। यदि हम काबिल नहीं तो सरकार अतिथि व्यवस्था ही खत्म कर दे। अधिकांश अतिथि शिक्षक अगले कई दिनों का राशन-पानी, बिस्किट, छतरी, कपड़े और रैनकोट लेकर आए हैं। कई तो देर रात ही भोपाल पहुंच गए थे। बस स्टेंड और रेलवे स्टेशनों पर रात काटकर सुबह सभी यहां पहुंच गए। हालांकि सरकार एक साल पहले ही इन सभी का मानदेय करीब दोगुना कर चुकी है। मगर अब यह सभी नियमित किए जाने की मांग कर रहे हैं। पूर्व में भी कई बार भोपाल में प्रदर्शन कर चुके हैं।