Guideline के बाद तो जमीन वाले ‘जमीन’ में धंस गये

राजेश राठौर
EXCLUSIVE

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर जिले की प्रापर्टी गाइडलाइन ( Guideline ) ने तो जमीन वालों की ऐसी स्थिति कर दी है जैसे कोई सांप सूंघ गया हो, सबके सब भगते फिर रहे हैं। गाइडलाइन इस बेरहमी से बढ़ाई गई है जैसे निर्दोष को पुलिस पकड़कर मार-मार के उसकी चटनी बना देती है। हर इलाके की गाईडलाइन बढ़ने से प्रापर्टी की मंदी में ‘तड़का’ लग गया है।

अफसर मर्जी से बढ़ाते थे Guideline

गाइडलाइन ( Guideline ) बंद कमरे में बैठे अफसर मनमर्जी से बढ़ा देते हैं, ना तो जमीन वालों से बात करते हैं और ना ही ग्राहकों का ध्यान रखते हैं। गरीबों के मकान का सपना तोडऩे वाले ये अफसर इतने ‘मदमस्त’ हो गये हैं कि उनको किसी बात का डर नहीं है। अफसरों को तो सिर्फ इस बात की चिंता रहती है कि उन्होंने गाईडलाइन बढ़ाकर सरकार की नजर में अपने नंबर बढ़ा लिए। जब टारगेट आयेगा और उसको पूरा करने का वक्त आयेगा तब तक गाईडलाइन बढ़ाने वाले किसी और जगह पर अफसरशाही की कुर्सी तोड़ते हुए देखे जायेंगे। उनको इस बात से कोई मतलब नहीं है कि गाईडलाइन बढऩे से आम जनता पर स्टाम्प ड्यूटी का कितना भार आयेगा। कालोनाइजर तो कोई अपनी जेब से पैसे देने वाला नहीं है। गुंडे, बदमाश, सटोरिये, उठाईगिरे और नटवरलाल कालोनाइजर को तो ये कहने का मौका मिल गया कि ‘हम क्या करें सरकार ने ही गाईडलाइन बढ़ा दी’। अब तो प्रापर्टी का काम करना मुश्किल हो गया है, रोज़ाना प्रापर्टी में मंदी तेजी से बढ़ती जा रही है, नहीं तो एक समय था जब इंदौर में प्रापर्टी के रेट दिल्ली, मुंबई, बेंगलोर से भी अनुपात के मामले में तेजी से बढ़ते जा रहे थे। अब दूसरे शहरों में भले ही प्रापर्टी कारोबार गड्ढे में नहीं जा रहा हो, लेकिन इंदौर में तो प्रापर्टी कारोबार ‘खाई’ में डूब गया है। जहां से निकलने में दो-तीन साल तो आसानी से लग जायेंगे।