गुजरात की राजनीति में भूचाल, मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे के पीछे क्या है गेम प्लान?

गुजरात की राजनीति में एक बार फिर बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल मुंबई दौरे से लौटकर गांधीनगर पहुंच चुके हैं, जहां उन्होंने राज्य के नए मंत्रिमंडल को लेकर तैयारियां तेज कर दी हैं।

सूत्रों के मुताबिक, पटेल सरकार के सभी मौजूदा मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जिससे यह साफ हो गया है कि राज्य में पूरी तरह से नई टीम तैयार की जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि मुख्यमंत्री आज शाम तक राज्यपाल आचार्य देवव्रत को नए मंत्रियों की सूची सौंप देंगे।

भाजपा में बैठकों का दौर तेज

कैबिनेट विस्तार को लेकर भाजपा संगठन में लगातार बैठकों का दौर जारी है। राष्ट्रीय संगठन महासचिव सुनील बंसल गांधीनगर पहुंच चुके हैं, जहां उन्होंने प्रदेश महासचिव रत्नाकर और अन्य वरिष्ठ नेताओं से लंबी चर्चा की। यह माना जा रहा है कि इन बैठकों में आने वाले विधानसभा चुनाव 2027 और स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखते हुए नए मंत्रियों के चयन की रणनीति तैयार की जा रही है। इस दौरान क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन का भी खास ध्यान रखा जा रहा है।

आज रात सीएम आवास पर अहम बैठक

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज रात मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के गांधीनगर स्थित आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की जाएगी। इस मीटिंग में सभी वर्तमान मंत्री और भाजपा संगठन के प्रमुख पदाधिकारी शामिल होंगे। चर्चा यह भी है कि बैठक में यह तय किया जाएगा कि किन विधायकों को नई कैबिनेट में स्थान दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि भाजपा के पुराने चेहरों के साथ-साथ कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए दो से तीन विधायकों को भी मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

17 अक्टूबर को शपथ ग्रहण समारोह

गुजरात में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह 17 अक्टूबर 2025, शुक्रवार सुबह 11:30 बजे गांधीनगर के महात्मा मंदिर में आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में राज्यपाल आचार्य देवव्रत नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। यह समारोह न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी तय करेगा कि आगामी चुनावों से पहले भाजपा राज्य में अपनी संगठनात्मक मजबूती कैसे बनाए रखती है।

रणनीतिक संतुलन के साथ नई कैबिनेट

भाजपा नेतृत्व की योजना है कि नई कैबिनेट में ऐसे चेहरे शामिल किए जाएं जो न केवल राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हों, बल्कि अपने-अपने क्षेत्रों में पार्टी की पकड़ को मजबूत कर सकें। इसलिए इस बार इलाके, जाति और संगठनात्मक योगदान के आधार पर मंत्री बनाए जाने की संभावना है। पार्टी का उद्देश्य विपक्ष के प्रभाव को सीमित करना और राज्य में भाजपा की पकड़ को और मजबूत करना है।