गुजरात का पहला एम्स राजकोट में बनकर तैयार

विनोद नागर
राजकोट
गुजरात का पहला अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) राजकोट में अब पूरी तरह बनकर तैयार हो गया है। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी फरवरी के दूसरे या तीसरे सप्ताह में अपने गुजरात प्रवास के दौरान इसका उद्घाटन कर सकते हैं। करीब तीन साल पहले उन्होंने ही इसके निर्माण की आधारशिला भी रखी थी। एम्स राजकोट के निर्धारित समय पर पूरा होकर खुल जाने से न केवल सौराष्ट्र क्षेत्र में, बल्कि समूचे गुजरात में आम लोगों, खासकर निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों को मल्टीपल/ सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधाएं आसानी से सुलभ होंगी।

करीब एक हज़ार एक सौ पिच्चानवे करोड़ रूपये की लागत से निर्मित यह वृहद चिकित्सा केन्द्र देश के विभिन्न राज्यों में प्रधानमन्त्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत बनाए जा रहे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) में से एक है। सात सौ पचास बिस्तरों वाले इस अत्याधुनिक अस्पताल में एक सौ पिच्चासी करोड़ रूपये की राशि तो केवल ‘स्टेट ऑफ द आर्ट‘ तकनीक वाले लेटेस्ट चिकित्सा उपकरणों के लिए ही उपलब्ध कराई गई है। इधर राज्य सरकार ने भी दो सौ एकड़ जमीन सहित सडक़, पानी और बिजली आपूर्ति की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई हैं। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल के निर्देश पर हाल ही में मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक ऑन लाइन समीक्षा बैठक में एम्स राजकोट में पूर्ण हो चुके निर्माण कार्यों का जायजा लिया। खंडेरी पारा पिपलिया में शिलान्यास के ठीक एक साल बाद निर्धारित समयावधि में पहले चरण का निमार्ण कार्य पूरा होने पर रोगियों के उपचार की ओपीडी सेवाएं 31 दिसंबर 2021 से प्रारंभ हो चुकी हैं। अस्पताल की टेलीमेडिसिन सेवा से एक साल में ही बयालीस हजार से ज्यादा लोग लाभान्वित हुए हैं। अब आईपीडी विभाग का निमार्ण कार्य, साज-सज्जा तथा चिकित्सा उपकरणों के प्रायोगिक परीक्षण के उपरांत समूचा एम्स परिसर लोकार्पण के लिए तैयार है। बस पीएमओ से ग्रीन सिग्नल मिलने का इंतजार है। प्रधानमन्त्री के हाथों आईपीडी ब्लॉक का लोकार्पण होने के बाद एम्स राजकोट में रोगियों को अस्पताल में भर्ती कर गंभीर बीमारियों के इलाज, जांच और शल्य चिकित्सा की अत्याधुनिक सुविधाएं मिलने लगेंगी।

इस बीच एम्स राजकोट ने महानगर के समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में आकस्मिक चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक नया क़दम आकाश के रास्ते बढ़ा दिया है। गणतंत्र दिवस के दो दिन पहले एम्स ने राजकोट जिले के एक गांव में ड्रोन के जरिए मात्र बीस मिनट में जीवन रक्षक दवाएं पहुंचाने का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। एम्स राजकोट के डायरेक्टर डॉ. सीडीएस कटोच के अनुसार इस सफल परीक्षण के बाद अब तीस से चालीस किमी के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में इमरजेंसी के दौरान ड्रोन से जीवन रक्षक दवाएं भिजवाई जा सकेंगी। इस नई सुविधा को व्यवस्थित ढंग से प्रारंभ करने के लिए जिला प्रशासन और राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के समन्वय से रूपरेखा तैयार की जा रही है। हालांकि ड्रोन तकनीक से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यकता पडऩे पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक दवाईयां पहुंचाने की यह अभिनव पहल अकेले राजकोट में ही नहीं बल्कि देश के सभी एम्स में एक साथ की जा रही है।