ग्वालियर नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने नगर निगम के वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों और एक विज्ञापन एजेंसी के संचालक पर एफआईआर दर्ज की है। जांच में सामने आया कि अधिकारियों ने मिलकर नगर निगम को करीब 54 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान पहुंचाया। यह पूरा मामला 2017 से 2021 के बीच का बताया जा रहा है, जिसमें “दीपक एडवरटाइजर्स” नामक कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाया गया।
टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी कर पहुंचाया नुकसान
EOW द्वारा जारी प्रेस नोट में बताया गया कि 10 नवंबर 2017 को नगर निगम ग्वालियर ने शहर के 48 सार्वजनिक शौचालयों पर विज्ञापन लगाने के लिए निविदा आमंत्रित की थी। यह निविदा “दीपक एडवरटाइजर्स” को दी गई। अनुबंध नगर निगम की ओर से तत्कालीन मुख्य नगर अधिकारी (CCO) प्रदीप चतुर्वेदी और एजेंसी की ओर से दीपक जेठवानी ने किया था।
हालांकि जांच में यह पाया गया कि अनुबंध में शर्त क्रमांक 1 और 10 में फर्जी बदलाव किए गए थे। एक नई शर्त जोड़कर टेंडर की अवधि बढ़ाने और राशि में केवल 5 प्रतिशत बढ़ोतरी करने का प्रावधान जोड़ दिया गया, जो नगर निगम की मेयर-इन-काउंसिल के संकल्प क्रमांक 582 में कहीं दर्ज नहीं था।
समितियों ने अपने हिसाब से तय की राशि
EOW की जांच में यह भी सामने आया कि नगर निगम द्वारा कई बार समितियां गठित की गईं, जो विज्ञापन एजेंसी द्वारा किए गए कार्यों के भुगतान की राशि तय करती थीं। इन समितियों ने नियमों को दरकिनार करते हुए केवल 38 सार्वजनिक शौचालयों और मूत्रालयों पर लगे विज्ञापनों के लिए भुगतान निर्धारित किया, जबकि अनुबंध 48 स्थलों का था। इस तरह नियमों को तोड़कर विज्ञापन एजेंसी को जानबूझकर फायदा पहुंचाया गया। एक समिति ने 5 दिसंबर 2020 को ₹48,85,272 की राशि तय की, जबकि दूसरी समिति ने 11 दिसंबर 2021 को ₹18,56,942 का भुगतान गणना किया।
नगर निगम को हुआ 54 लाख रुपये का नुकसान
जांच रिपोर्ट के अनुसार, अगर 36 महीने की अवधि और 48 स्थानों पर विज्ञापन को ध्यान में रखा जाए, तो निगम को कुल ₹72,57,600 रुपये की राशि मिलनी चाहिए थी। लेकिन, अधिकारियों और एजेंसी की मिलीभगत से नगर निगम को ₹54,00,658 रुपये का नुकसान हुआ। यह रकम निगम की आय में सीधे तौर पर हेराफेरी मानी जा रही है।
बड़े अधिकारियों और एजेंसी संचालक पर FIR
EOW ने इस पूरे मामले को गंभीर आर्थिक अपराध मानते हुए कई वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इनमें अपर आयुक्त राजेश श्रीवास्तव, अपर आयुक्त (वित्त) देवेन्द्र पालिया, अधीक्षण यंत्री जेपी पारा, उपायुक्त (विज्ञापन) सुनील सिंह चौहान, सहायक नोडल अधिकारी शशिकांत शुक्ला, सहायक लिपिक मदन पालिया, आउटसोर्स कर्मचारी धर्मेन्द्र शर्मा, और “दीपक एडवरटाइजर्स” के संचालक दीपक जेठवानी शामिल हैं। हालांकि इस केस में मुख्य आरोपी रहे तत्कालीन सीसीओ प्रदीप चतुर्वेदी की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ मामला
EOW ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (सरकारी धन का दुरुपयोग), 467 और 468 (जालसाजी), 120B (साजिश) के तहत मामला दर्ज किया है। साथ ही, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 (संशोधित 2018) की धारा 7(ए), 13(1)(क) और 13(2) के तहत भी अपराध पंजीबद्ध किया गया है।