गद्दीनशीन Mahant Premdas पहली बार बाहर निकले… रामलला को हलवा, पूरी का भोग लगाया

स्वतंत्र समय, आयोध्या

अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दीनशीन ने 288 साल पुरानी परंपरा बदल दी। पहली बार गद्दीनशीन महंत प्रेमदास ( Mahant Premdas ) हनुमानगढ़ी से बाहर निकले। महंत प्रेमदास 8 साल से गद्दीनशीन हैं। इस अवधि में वह कभी भी बाहर नहीं आए।

Mahant Premdas ने कहा, हनुमान जी ने दर्शन का दिया आदेश

प्रेमदास ( Mahant Premdas ) ने रामलला के दर्शन की इच्छा जताई थी। कहा था- मेरे सपने में हनुमान जी आए थे। उन्होंने रामलला के दर्शन करने का आदेश दिया था। इसके बाद उन्होंने अखाड़े के सभी सदस्यों की 21 अप्रैल को बैठक बुलाई। इस बैठक में परंपरा बदलने के फैसले पर मुहर लगी। तय हुआ, प्रेमदास रामलला के दर्शन करने जाएंगे। संत प्रेमदास 2016 में हनुमानगढ़ी के 22वें गद्दीनशीन महंत बने थे। अक्षय तृतीया पर बुधवार को हनुमानगढ़ी से संत प्रेमदास बाहर निकले। हाथी, घोड़े, बैंड-बाजे और शंखनाद के साथ सरयू तट पर पहुंचे। इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा की। प्रेमदास ने सरयू में शिष्यों के साथ स्नान किया और फरसा लहराकर हनुमान जी और जय श्रीराम के नारे लगाए। इसके बाद रामलला के दर्शन किए। हलवा, पूरी, पकौड़ी, फल और ड्राई फ्रूट का भोग लगाया। मंदिर में करीब 1 घंटे बिताया। बोले- मुझे दर्शन करके परम आनंद मिला। पहली बार सामने से रामलला को देखा, तो ऐसा लगा कि वो कुछ बोल रहे हैं। भगवान अक्सर कुछ कहते हैं, बस हम समझ नहीं पाते।