Ujjain News : उज्जैन के गोपाल मंदिर में सोमवार रात भगवान शिव और भगवान विष्णु का दिव्य हरि-हर मिलन संपन्न हुआ। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी की रात्रि को मनाए जाने वाले इस विशेष आयोजन में भगवान महाकालेश्वर स्वयं पालकी में सवार होकर भव्य सवारी के रूप में महाकाल मंदिर से गोपाल मंदिर पहुंचे।
आतिशबाजी और जयकारों के बीच हजारों श्रद्धालु इस दिव्य क्षण के साक्षी बने।
पौराणिक मान्यता है वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव सृष्टि का भार चार महीनों के लिए भगवान विष्णु को सौंपते हैं और भगवान शिव हिमालय पर्वत चले जाते है।
महाकाल की सवारी रात 11 बजे मंदिर से निकली और महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार से होती हुई गोपाल मंदिर पहुंची। इस दौरान उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह और महाकाल मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक भी उपस्थित रहे।
गोपाल मंदिर पहुंचने पर विशेष पूजन-विधि के साथ सत्ता हस्तांतरण की रस्म हुई। पुजारी महेश शर्मा के अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान महाकाल को तुलसी की माला और भगवान विष्णु को बिल्वपत्र की माला अर्पित की गई। यह परंपरा दोनों देवताओं के बीच सत्ता के प्रतीकात्मक हस्तांतरण को दर्शाती है।
इस अनूठे मिलन में भगवान विष्णु और भगवान शिव को एक-दूसरे की प्रिय वस्तुओं का भोग भी लगाया गया। हरि-हर मिलन की यह परंपरा उज्जैन की धार्मिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे देखने देशभर से भक्त हर वर्ष बड़ी श्रद्धा से पहुंचते हैं।
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार भगवान महाकालेश्वर (हर), श्री द्वारकाधीश (हरि) को प्रजा के समक्ष सृष्टि का भार सौंपते है। देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बली के यहां विश्राम करने जाते है। इसलिए उस समय संपूर्ण सृष्टि की सत्ता का भार शिवजी संभालते है। यही भार लौटाने के लिए भगवान महाकाल वैकुंठ चतुर्दशी के दिन गोपाल मंदिर आते है। इस पर्व को हरिहर मिलन कहा जाता है।
वहीं आज सुबह भी उज्जैन के महाकालेश्व मंदिर के गर्भ में हरिहर मिलन बड़े विधि-विधान से मनाया गया। गर्भ में भगवान विष्णुजी की प्रतिमा को भगवान महाकाल ज्योतिर्लिंग के समीप देखा गया।
सोशल मीडिया पर आज बाबा महाकाल का श्रृंगार और हरिहर मिलन की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही है। भगवान महाकाल का आज का दिव्य श्रृंगार देखकर भक्त मन ही मन बड़े प्रसन्न हो रहे है।