Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज, खासकर महिलाओं के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का पर्व है। यह व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूती देने वाला भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपने तप और श्रद्धा से पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए इस व्रत को अखंड सौभाग्य, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
व्रत का तरीका: निर्जला और निराहार तपस्या
अगर आप पहली बार हरियाली तीज का व्रत कर रही हैं, तो यह जानना जरूरी है कि यह व्रत बेहद कठोर होता है। व्रती को दिनभर न तो कोई अन्न ग्रहण करना चाहिए और न ही पानी पीना चाहिए। इस निर्जला और निराहार व्रत को रखने से आत्मसंयम, भक्ति और निष्ठा का परिचय मिलता है। किसी भी प्रकार की ढील या खानपान इस व्रत की पूर्णता को बाधित कर सकता है।
सामान की खरीदारी: मंगलवार को करने से बचें
व्रत के लिए पूजा-सामग्री या श्रृंगार की वस्तुएं लानी हों, तो ध्यान रखें कि मंगलवार को यह खरीदारी न की जाए। धर्मशास्त्रों के अनुसार, मंगलवार को व्रत से संबंधित वस्तुएं खरीदना शुभ नहीं होता। इससे व्रत की आध्यात्मिक ऊर्जा में कमी आ सकती है और यह मां पार्वती की कृपा के प्रभाव को कमजोर कर सकता है। बेहतर होगा कि बुधवार या गुरुवार को सारी तैयारी कर लें।
वर्जित वस्तुओं और अशुद्धियों से रहें दूर
हरियाली तीज का व्रत पूरी तरह सात्विक जीवनशैली पर आधारित है। इसलिए इस दिन चमड़े से बनी चीजें, मद्यपान, मांसाहार, अंडा या कोई भी अशुद्ध वस्तु छूने या इस्तेमाल करने से बचें। इन वस्तुओं से संपर्क व्रत की पवित्रता को भंग करता है और मां पार्वती की नाराजगी का कारण बन सकता है। कोशिश करें कि आप सात्विक वातावरण में रहें और मानसिक रूप से भी शुद्ध रहें।
पूजन सामग्री मायके से लाना क्यों है खास?
विवाहित महिलाएं इस दिन पूजा में उपयोग होने वाली अधिकतर सामग्री अपने मायके से लाती हैं। यह परंपरा मां पार्वती के सम्मान और पुत्री भाव को दर्शाती है। मायके से आई चीजों का उपयोग करने से दांपत्य जीवन में मिठास बनी रहती है और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यदि किसी कारणवश मायके से सामग्री लाना संभव न हो, तो घर में रखी सात्विक वस्तुओं से पूजा करें।
रंगों का महत्व: हरा पहनें, काले से करें परहेज
हरियाली तीज का प्रतीक रंग ‘हरा’ है, जो हरियाली, सकारात्मकता और जीवन की ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन हरी चूड़ियां, हरे कपड़े और हरी बिंदी पहनना शुभ माना जाता है। वहीं, काले रंग को इस दिन वर्जित माना जाता है क्योंकि यह शोक और नकारात्मकता का प्रतीक होता है। काले रंग से बचकर आप इस पर्व की शुभता को और भी गहरा कर सकती हैं।
क्रोध और वाद-विवाद से बचें
हरियाली तीज का पर्व प्रेम, शांति और संयम का प्रतीक है। इस दिन व्रती को चाहिए कि वह किसी से झगड़ा या बहस न करे, विशेषकर किसी सुहागिन महिला का अपमान तो भूलकर भी न करें। माना जाता है कि इससे व्रत का पुण्यफल घटता है और मां पार्वती अप्रसन्न होती हैं। घर में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण बनाए रखें, जिससे व्रत का प्रभाव और अधिक फलदायी हो।
व्रत पारण का समय और उसकी महत्ता
व्रत का पारण यानी समापन भी शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए। पारण का समय तयशुदा होता है, और इसे समय से पहले या बाद में करने से व्रत अधूरा माना जाता है। जैसे कि 2025 में हरियाली तीज का व्रत 27 जुलाई को रखा जाएगा और पारण उसी दिन रात्रि 10:41 के बाद शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। समय की गणना के लिए वैदिक पंचांग का सहारा जरूर लें।
यदि इन सभी नियमों और परंपराओं का विधिपूर्वक पालन किया जाए, तो हरियाली तीज का व्रत न केवल आध्यात्मिक शुद्धि लाता है, बल्कि पारिवारिक जीवन में सुख-शांति और वैवाहिक संबंधों में मजबूती भी प्रदान करता है।