हरतालिका तीज का नाम आते ही मन में माता पार्वती और भगवान शिव का दिव्य मिलन याद आ जाता है। यह व्रत खासकर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं निर्जला उपवास करके माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन में खुशियां और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
अविवाहित कन्याओं के लिए व्रत का महत्व
अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या हरतालिका तीज का व्रत केवल शादीशुदा महिलाएं ही कर सकती हैं? जवाब है – नहीं। इस व्रत का महत्व अविवाहित लड़कियों के लिए भी उतना ही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस तरह माता पार्वती ने कठिन तपस्या के बाद भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था, उसी तरह कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करके मनचाहा और योग्य जीवनसाथी पा सकती हैं। यही कारण है कि यह तीज सिर्फ शादीशुदा ही नहीं बल्कि अविवाहित महिलाओं के लिए भी बेहद खास मानी जाती है।
2025 में हरतालिका तीज की तिथि और पूजा का समय
इस साल हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त 2025, मंगलवार को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 25 अगस्त दोपहर 2:04 बजे से शुरू होकर 26 अगस्त दोपहर 3:34 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 26 अगस्त को होने के कारण इसी दिन व्रत और पूजा का आयोजन होगा।
व्रत करने की विधि और नियम
इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को कुछ खास नियमों का पालन करना होता है।
- प्रातःकाल स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहनें।
- बालू या मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियां बनाएं।
- पूरे दिन निर्जला व्रत रखें यानी न भोजन करें और न ही पानी पिएं।
- शाम के समय फूल, बेलपत्र, फल, धूप-दीप से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
- पूजा के दौरान हरतालिका तीज की कथा सुनें। इस कथा में बताया गया है कि किस तरह माता पार्वती ने कठोर तप करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया।
- पूजा के बाद भगवान से परिवार की समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
व्रत से मिलने वाले लाभ
हरतालिका तीज का व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वहीं अविवाहित लड़कियों को योग्य वर की प्राप्ति होती है। यह पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि स्त्री और पुरुष के रिश्ते में विश्वास, समर्पण और प्रेम का प्रतीक भी है।
Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।