यूनियन कार्बाइड कचरे के निपटान पर HC ने दी राज्य सरकार को 6 हफ्ते की मोहलत

यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने फिलहाल कचरे को पीथमपुर में कंटेनरों से खाली करने की अनुमति देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जनवरी की तारीख तय की है।

सरकार ने मांगा 6 हफ्ते का समय

हाईकोर्ट में सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने दलील दी कि अदालत के आदेश के अनुसार कचरे को वैज्ञानिक तरीके से नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। इसके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर कचरे को पुलिस और डॉक्टरों की देखरेख में भोपाल से पीथमपुर तक पहुंचाया गया। लेकिन पीथमपुर के आसपास जनता के विरोध के चलते काम बाधित हुआ। राज्य सरकार ने जनता को समझाने और शांति बनाए रखने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा है।

सीएम का बयान

इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन ने कहा कि न्यायालय ने सरकार की मंशा को समझा और सभी पक्षों को अपनी बात रखने का अवसर दिया। उन्होंने कहा, “हमने अदालत के आदेश के अनुसार ही कचरे को पीथमपुर भेजा। अब न्यायालय ने 6 सप्ताह का समय दिया है और हम अदालत के निर्णय का सम्मान करेंगे। आगे भी कोर्ट के आदेश पर ही आगे की प्रक्रिया होगी।”

याचिकाकर्ताओं का आरोप

इस फैसले को एमजीएम एलुमिनाई एसोसिएशन ने चुनौती दी है। याचिकाकर्ता के वकील अभिनव धनोदकर का कहना है कि सरकार ने बिना जनता को भरोसे में लिए यह कदम उठाया। उन्होंने कहा, “इंदौर और पीथमपुर के बीच महज 30 किलोमीटर की दूरी है। ऐसे में 358 मीट्रिक टन जहरीले कचरे का यहां रखा जाना दोनों शहरों के लोगों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए खतरनाक है। इसे वापस भोपाल ले जाना चाहिए।”

अगली सुनवाई में होगा फैसला

फिलहाल, अदालत ने कचरे को खाली करने की अनुमति देते हुए सभी पक्षों को 18 जनवरी तक अपनी बात रखने का अवसर दिया है। इस मामले को लेकर इंदौर और पीथमपुर में चिंता का माहौल बना हुआ है। अब देखना होगा कि अदालत इस पर अंतिम निर्णय क्या लेती है।