स्वतंत्र समय, भोपाल
राजधानी भोपाल स्थित स्वास्थ्य संचालनालय ( Health Directorate ) के दफ्तर में शुक्रवार दोपहर उस वक्त हंगामा मच गया, जब कोर्ट के कर्मचारियों ने वहां पहुंचकर दफ्तर का सामान बाहर निकालना शुरू कर दिया। इस दौरान वहां पदस्थ एक लेडी अफसर ने कार्रवाई का विरोध किया। उन पर कर्मचारियों और मीडियाकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की करने का आरोप भी लगा है।
Health Directorate से कोलकाता हाईकोर्ट ने दिए थे कुर्की के आदेश
दरअसल, कोलकाता हाईकोर्ट ने एक मामले में मप्र के हेल्थ डायरेक्टर से 19 करोड़ 34 लाख रुपए की कुर्की करने का आदेश दिया था। इसी का पालन कराने के लिए कर्मचारी यहां पहुंचे थे। कोलकाता हाईकोर्ट के वकील शुक्रवार को भोपाल कोर्ट के अधिकारियों के साथ जेपी हॉस्पिटल कैंपस में स्थित स्वास्थ्य संचालनालय ( Health Directorate ) के दफ्तर पहुंचे। कोर्ट के कर्मचारियों ने स्वास्थ्य संचालनालय में रखा सामान निकालना शुरू कर दिया। इस बीच स्वास्थ्य संचालक मल्लिका निगम नागर की तरफ से कहा गया कि यहां स्वास्थ्य निदेशक का कोई पद नहीं है। ऐसे में आप इस दफ्तर में कुर्की नहीं कर सकते हैं। कंपनी के वकील के साथ स्वास्थ्य संचालनालय की एक महिला अधिकारी ने उन्हें ऑफिस से बाहर कर दिया। वकील ने भोपाल कोर्ट में इस बर्ताव की शिकायत करने और अतिरिक्त पुलिस बल मांगने की बात कही है।
कोलकाता हाईकोर्ट से कुर्की आदेश
कोलकाता की एक कंपनी से हेल्थ डिपार्टमेंट ने साल 2013 में कीटनाशक दवाएं खरीदी थी, जिसका पेमेंट नहीं किया गया। इसके खिलाफ कंपनी ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर हाईकोर्ट ने कंपनी को ब्याज सहित राशि भुगतान करने का आदेश दिया था। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश का पालन कराने के लिए कंपनी ने भोपाल जिला कोर्ट में एक्जीक्युशन याचिका लगाई। इस पर भोपाल कोर्ट ने स्वास्थ्य निदेशक से 19 करोड़ 34 लाख रुपए की कुर्की करने का आदेश दिया।
स्वास्थ्य विभाग सुप्रीम कोर्ट तक में केस हारा: वकील
कोलकाता हाईकोर्ट के एडवोकेट पूणार्शीष भुइया ने बताया कि हेल्थ डायरेक्टर एमपी को नीटापोल इंडस्ट्री ने 2013 में इन्सेक्टिसाइट सप्लाई किया था। मेसर्स नेटापोल इंडस्ट्री इन्सेक्टिसाइट की मैन्युफेक्चरिंग और सप्लाई का काम करती है। विभाग ने 50 लाख 70 हजार रुपए कीटनाशक दवाएं ले ली और उपयोग करने के बाद अब तक भुगतान नहीं किया। इसको लेकर हपश्चिम बंगाल फेसिलेशन काउंसिल में रेफरेंस एप्लीकेशन लगाई थी। काउंसिल ने आरबीआई के अनुसार ब्याज सहित राशि अदा करने का आदेश दिया था। उसमें भी स्वास्थ्य विभाग हार चुका है। उसके बाद कोलकाता हाईकोर्ट और ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए। वहां भी डायरेक्टर हेल्थ हार गए।