Symptoms of Cancer: जब भी हम कैंसर की बात करते हैं, तो अक्सर लोग इसकी वजह धूम्रपान, शराब, सूरज की किरणों या हेयर डाई जैसी चीजों को मानते हैं। लेकिन एक चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि कैंसर का सबसे बड़ा कारण उम्र बढ़ना यानी बुढ़ापा है। यह एक ऐसा जोखिम है जिससे कोई नहीं बच सकता, क्योंकि बुढ़ापा सबको आता है।
कनाडा समेत पूरी दुनिया में बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। साल 2068 तक कनाडा की लगभग 29% आबादी 65 साल से अधिक उम्र की होगी। और बुजुर्गों में कैंसर सबसे आम बीमारियों में से एक है। ऐसे में जरूरी हो गया है कि कैंसर से जूझ रहे बुजुर्गों के लिए खास इलाज और देखभाल की व्यवस्था की जाए।
इलाज में अब भी पीछे क्यों हैं?
हालांकि अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी बुजुर्ग व्यक्ति को कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले उसका जेरियाट्रिक (बुढ़ापे से जुड़ा) मूल्यांकन किया जाना चाहिए, लेकिन हकीकत यह है कि यह अक्सर नहीं होता। यह मूल्यांकन बुजुर्गों की मानसिक स्थिति, अन्य बीमारियां और शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखकर किया जाता है, ताकि इलाज उनके लिए सुरक्षित और कारगर हो।
इलाज सिर्फ दवा नहीं, समझदारी भी जरूरी
जेरियाट्रिक विशेषज्ञ यह समझने में मदद करते हैं कि किस मरीज के लिए क्या महत्वपूर्ण है – जैसे कि स्वतंत्र रहना, दर्द से राहत, या जीवन की गुणवत्ता। कैंसर की पहचान के बाद, बुजुर्गों को कई तरह की जांच और दवाइयों से गुजरना पड़ता है, लेकिन अक्सर अंदर छिपी समस्याएं नहीं दिखतीं। यही कारण है कि जेरियाट्रिक मूल्यांकन बेहद जरूरी है।
कनाडा में क्या हो रहा है?
कनाडा में ऐसे क्लीनिक की संख्या बहुत कम है। मॉन्ट्रियल और टोरंटो में कुछ खास क्लीनिक हैं जो बुजुर्ग कैंसर रोगियों के लिए काम कर रहे हैं। एक स्टडी के अनुसार, इन क्लीनिकों से मरीजों के इलाज पर औसतन 7,000 डॉलर की बचत होती है। यानी मरीजों की सेहत सुधरती है और स्वास्थ्य तंत्र की लागत भी घटती है।
फिर भी सेवाएं क्यों नहीं?
कई जगहों पर अब भी कोई विशेष सेवाएं नहीं हैं, जैसे ब्रिटिश कोलंबिया में। इसका कारण है – पुराना इलाज मॉडल, जिसमें बदलाव करना मुश्किल है और लागत की चिंता। कैंसर का इलाज तेजी से बदला है, लेकिन इलाज का तरीका अब भी पुराना है।