मध्य प्रदेश में मौसम ने फिर करवट ली है। दक्षिण-पूर्वी अरब सागर में बने लो प्रेशर एरिया का असर अब राज्य तक पहुंच गया है। बीते 24 घंटों में ग्वालियर, जबलपुर, सागर, छतरपुर, नर्मदापुरम, हरदा, बुरहानपुर, रायसेन, बैतूल, सिवनी, रीवा और छिंदवाड़ा जैसे जिलों में हल्की बारिश और गरज-चमक का दौर देखा गया। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले चार दिन तक यही मौसम बने रहने की संभावना है, जिससे प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी और आंधी-तूफान जारी रहेंगे।
साइक्लोनिक सर्कुलेशन और पश्चिमी विक्षोभ
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, यह सिस्टम धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, जिससे प्रदेश में इसका प्रभाव बढ़ सकता है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के ऊपर दो साइक्लोनिक सर्कुलेशन सक्रिय हैं और इसके साथ ही वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) भी प्रदेश के पास काम कर रहा है। इन सिस्टम्स के चलते मौसम में बदलाव लगातार जारी है और हल्की बारिश, आंधी और गरज-चमक के साथ हवा की गति भी बढ़ रही है।
अगले चार दिनों का मौसम पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में दक्षिणी जिलों में हल्की बारिश, आंधी और गरज-चमक का असर दिखाई देगा। गुरुवार को बड़वानी, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, बैतूल, पांढुर्णा और बालाघाट में बारिश के आसार हैं। 24 से 26 अक्टूबर तक इंदौर, नर्मदापुरम और जबलपुर संभाग में भी मौसम प्रणाली का प्रभाव देखा जाएगा। बीते 24 घंटे में हुए बारिश रिकॉर्ड के अनुसार, कई जिलों में हल्की बारिश हुई। विशेष रूप से जबलपुर में दिवाली की रात लगभग पौन इंच बारिश दर्ज की गई। यह बारिश स्थानीय जलस्तर और पर्यावरण के लिए राहत देने वाली रही।
तापमान का हाल
बारिश और बादलों के कारण प्रदेश में दिन और रात का तापमान असमान बना हुआ है। रातें ठंडी, दिन हल्के गर्म भोपाल में रात का तापमान 18.2°C, इंदौर 20.8°C, उज्जैन 21.5°C, ग्वालियर 22.2°C, जबलपुर 22.1°C दर्ज किया गया। नरसिंहपुर, नौगांव, टीकमगढ़, मलाजखंड, धार, खंडवा, खरगोन, पचमढ़ी, राजगढ़ और शिवपुरी जैसे कई जिलों में रात का तापमान 20°C से नीचे रहा। दिन के समय ग्वालियर, गुना, रतलाम, जबलपुर, सागर, सतना और उमरिया सहित कई जिलों में तापमान 32°C से अधिक रहा। मौसम विभाग का कहना है कि यह अक्टूबर माह में सामान्य स्थिति है, जबकि नवंबर के दूसरे सप्ताह से ठंड और बढ़ेगी।
नवंबर से सर्दी का दौर
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, नवंबर से जनवरी तक कड़ाके की ठंड का दौर चलेगा और इस बार सर्दी 2010 के बाद सबसे ज्यादा ठंडी हो सकती है। साथ ही, सामान्य से अधिक बारिश की संभावना भी है, क्योंकि उत्तर-पश्चिम भारत में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहेंगे। आईएमडी ने संकेत दिए हैं कि जल्दी ही ला-नीना जैसी परिस्थितियां विकसित हो सकती हैं।
मानसून की विदाई, लेकिन बारिश जारी
मध्य प्रदेश में इस साल मानसून पूरी तरह विदा हो चुका है। राज्य में मानसून 16 जून को प्रवेश कर 13 अक्टूबर को समाप्त हुआ, यानी कुल 3 महीने 28 दिन सक्रिय रहा। हालांकि, मानसून के बाद भी बादल और हल्की बारिश का दौर जारी है। इस बार प्रदेश में बारिश सामान्य से 15% अधिक हुई। ग्वालियर-चंबल संभाग में दोगुनी बारिश दर्ज की गई। गुना जिला में कुल 65.7 इंच वर्षा रिकॉर्ड की गई। श्योपुर में 216% अधिक वर्षा, जबकि शाजापुर में सबसे कम (81%) रही। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस अच्छी बारिश से भूजल स्तर और सिंचाई के स्रोत भरपूर रहेंगे, जिससे आने वाले महीनों में जल संकट की संभावना नहीं है।