हेमंत खंडेलवाल ने प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन दाखिल किया, और इस अवसर पर पार्टी चुनाव प्रभारी सरोज पांडे, विवेक शेज्वलकर और धर्मेंद्र प्रधान ने उनका नामांकन फार्म लिया। मुख्यमंत्री मोहन यादव, वीड़ी शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र खटीक, राजेंद्र शुक्ला, जगदीश देवड़ा, प्रहलाद पटेल, सावित्री ठाकुर, कैलाश विजयवर्गीय और राकेश सिंह ने हेमंत खंडेलवाल के नाम पर प्रस्तावक के रूप में समर्थन दिया।
बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई करने के बाद, हेमंत खंडेलवाल ने अपने पिता विजय कुमार खंडेलवाल के साथ राजनीति में कदम रखा। उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल 1996 से 2004 तक लगातार चार बार बैतूल सांसद रहे। 2007 में विजय कुमार के निधन के बाद, हेमंत ने पहली बार लोकसभा उपचुनाव में मैदान में कदम रखा और कांग्रेस के सुखदेव पांसे को हराकर सांसद बने। यह उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत थी।
2008 में हुए परिसीमन के बाद बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हो गई, लेकिन पार्टी ने हेमंत की कड़ी मेहनत और क्षमताओं को देखते हुए 2010 में उन्हें बैतूल बीजेपी का जिला अध्यक्ष बना दिया। इसके बाद उन्होंने 2013 में विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। शिवराज सिंह चौहान सरकार में उन्हें कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां मिलीं, जिन्हें उन्होंने बखूबी निभाया।
हेमंत खंडेलवाल बीजेपी के कुशाभाऊ ठाकरे भवन निर्माण समिति के प्रमुख भी रहे और उनके नेतृत्व में प्रदेशभर में कई जिलों में पार्टी का भव्य भवन तैयार हुआ। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी पार्टी और संगठन से अपना नाता नहीं तोड़ा।
2023 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने शानदार वापसी की और कांग्रेस के निलय डागा को भारी अंतर से हराया, जिससे वे दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। हेमंत खंडेलवाल को सत्ता और संगठन के बीच सामंजस्य बनाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने देश के विभिन्न राज्यों में चुनावी जिम्मेदारियां निभाईं और भोपाल से दिल्ली तक अपनी प्रभावी पहचान बनाई।
संघ परिवार के कई दिग्गजों के करीबी संपर्कों की वजह से हेमंत खंडेलवाल प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शीर्ष स्थान पर आ खड़े हुए हैं। उनके नेतृत्व में बीजेपी को नई दिशा मिल सकती है, जिससे प्रदेश की राजनीति में रोमांचक बदलाव देखने को मिल सकता है।