इंदौर स्थित विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में “हर्निया एसेंशियल्स डिडैक्टिक्स” नामक दो दिवसीय वर्कशॉप की शुरुआत आज उत्साहपूर्ण माहौल में हुई। यह वर्कशॉप 4 और 5 जुलाई को आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य सर्जनों, मेडिकल छात्रों और पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनीज़ को हर्निया के नवीनतम निदान और सर्जरी तकनीकों से परिचित कराना है। पहले दिन की कार्यवाही में भाग लेने वाले प्रतिनिधियों को थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी गहराई से सिखाया गया।
हर्निया की बारीकियों और आधुनिक तकनीकों पर फोकस
वर्कशॉप में हर्निया के अलग-अलग प्रकार जैसे इनगुइनल, वेंट्रल और इनसिजनल हर्निया पर गहन चर्चा की गई। सत्र में 3D लैप्रोस्कोपिक सर्जरी, ई-टेप और माइल्स टर्म जैसी आधुनिक तकनीकों को विस्तार से समझाया गया। डॉक्टर्स ने केस आधारित चर्चाओं, लाइव सर्जिकल डेमो और वीडियो केस स्टडीज़ के ज़रिए प्रतिभागियों को व्यावहारिक अनुभव देने का प्रयास किया। इस आयोजन ने सर्जिकल शिक्षा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का कार्य किया।
डॉ. कोठारी ने साझा की विशेषज्ञता
केयर CHL हॉस्पिटल, इंदौर के सीनियर कंसल्टेंट और जनरल व एडवांस लैप्रोस्कोपिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. सी. पी. कोठारी ने पहले दिन महत्वपूर्ण सत्र का संचालन किया। उन्होंने हर्निया के क्लासिफिकेशन, ओपन व लेप्रोस्कोपिक रिपेयर, TEP और TAPP तकनीकों पर व्यावहारिक दृष्टिकोण से प्रकाश डाला। डॉ. कोठारी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हर मरीज के लिए उपचार की योजना उसकी स्थिति, हर्निया के प्रकार और आकार के अनुसार व्यक्तिगत रूप से तय होनी चाहिए।
समय पर सर्जरी से मिल सकती है राहत
कार्यशाला में उपस्थित विशेषज्ञों ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को पेट, कमर या जांघ के पास कोई उभार दिखाई दे, जो खड़े होने या खांसने पर और उभर आए, तो यह हर्निया का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में इसे नजरअंदाज़ न करें और तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। वक्त रहते की गई सर्जरी न केवल सुरक्षित होती है, बल्कि यह रोगी को जल्दी और स्थायी राहत भी प्रदान करती है।
नई तकनीकों से बेहतर नतीजे और कम तकलीफ
आज के मेडिकल युग में हर्निया सर्जरी में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल आम हो गया है, जिससे न केवल दर्द कम होता है, बल्कि रिकवरी भी तेज़ होती है। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की मदद से मरीज को अस्पताल में ज्यादा समय नहीं बिताना पड़ता और वे जल्दी सामान्य जीवन में लौट सकते हैं। विशेषज्ञों ने जनता को जागरूक करते हुए यह भी कहा कि हर्निया को हल्के में लेना जोखिम भरा हो सकता है।