मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले से लगभग 27 किलोमीटर दूर स्थित भेड़ाघाट एक ऐसा प्राकृतिक पर्यटन स्थल है, जिसकी खूबसूरती देखने के बाद कोई भी वहां से नजरें नहीं हटा पाता। संगमरमर की ऊंची-ऊंची चट्टानों के बीच बहती शांत नर्मदा नदी, झरनों की गूंज और दूधिया चांदनी में चमकते पत्थर इस जगह को जादुई बना देते हैं।
संगमरमर की वादियों से गिरता है धुआंधार
भेड़ाघाट की पहचान उसकी संगमरमरी चट्टानों और धुआंधार जलप्रपात से है। यहां लगभग 50 फीट की ऊंचाई से गिरता पानी जब चट्टानों से टकराता है तो उससे पानी की बूंदें ऊपर उठती हैं और वह धुएं की तरह दिखाई देती हैं। इसी कारण इसे “धुआंधार” कहा जाता है।
नाव की सैर है सबसे खास
भेड़ाघाट की एक और खास बात है यहां की नाव सवारी। संगमरमर की 100-100 फुट ऊंची चट्टानों के बीच से जब नाव बहती नर्मदा में आगे बढ़ती है, तो नजारा बेहद विहंगम होता है। सैलानी इस नजारों को अपने कैमरे में कैद करना कभी नहीं भूलते।
शरद पूर्णिमा की रात होती है खास
भेड़ाघाट में हर साल शरद पूर्णिमा के दिन नर्मदा उत्सव मनाया जाता है। यह दो दिवसीय आयोजन होता है, जिसमें देश भर से कलाकार आकर अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। शरद पूर्णिमा की रात जब चांद की किरणें संगमरमर की चट्टानों पर पड़ती हैं तो वह दूधिया सफेद नजर आती हैं, जो एक अद्भुत दृश्य होता है।
कैसे पहुंचे भेड़ाघाट?
भेड़ाघाट पहुंचने के लिए सैलानी जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट तक हवाई यात्रा कर सकते हैं। वहां से सड़क मार्ग से भेड़ाघाट पहुंचा जा सकता है। रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों को भेड़ाघाट स्टेशन पर उतरना होता है, वहां से ऑटो या अन्य साधनों से स्थल तक पहुंचा जा सकता है।
विश्व धरोहर की सूची में
भेड़ाघाट की सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर की संभावित सूची में शामिल किया गया है। कोरोना काल के दौरान यह स्थल भले ही शांत और वीरान नजर आया, लेकिन इसकी सुंदरता आज भी लोगों को अपनी ओर खींचती है। खासतौर पर बरसात के मौसम में, जब पानी अधिक होता है, तब यह जगह और भी ज्यादा खूबसूरत लगती है।