स्वतंत्र समय, भोपाल
विजयपुर उपचुनाव में मंत्री रामनिवास रावत की हार के बाद अभी यह तय नहीं है कि अगला वन मंत्री कौन होगा, लेकिन वन मंत्रालय पाले के लिए दिल्ली तक मंत्रियों ( ministers ) में लॉबिंग शुरू हो गई है। दो पूर्व वन मंत्री और कुछ विधायक पार्टी के बड़े नेताओं से मेल-मुलाकात कर रहे हैं। 20 से ज्यादा सीनियर विधायकों को भी उम्मीद जागी है।
वन मंत्रालय के लिए ministers कर रहे दावे
रामनिवास रावत ने वन मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके बाद उनका मंत्रालय संभालने के लिए सभी मंत्री( ministers ) तैयार दिख रहे हैं। इस पर सीएम डॉ. मोहन यादव के विदेश यात्रा से लौटने के बाद फैसला होगा। इस बीच मंत्री नागर सिंह चौहान ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री जिम्मेदारी देते हैं तो वन मंत्रालय संभालने के लिए तैयार हूं। रावत ने कांग्रेस विधायक रहते हुए 8 जुलाई को डॉ. मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। शपथ लेने के बाद विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हाल ही में हुए उपचुनाव में रावत हार गए। रावत ठीक सवा चार महीने भाजपा सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री रह पाए। उनको यह विभाग नागर सिंह चौहान से छीनकर दिया था।इसे लेकर काफी विवाद भी सामने आया था।
पुराना विभाग वापस पाने की जुगत में नागर
नागर सिंह चौहान के पास अनुसूचित जाति और वन एवं पर्यावरण दो विभाग थे। रावत के भाजपा में शामिल होने के बाद मोहन कैबिनेट का विस्तार हुआ और नागर सिंह से वन एवं पर्यावरण विभाग छीनकर रावत को दे दिया गया। अब नागर सिंह चौहान एक बार फिर से पुराना विभाग हासिल करने के प्रयास में जुटे हैं। बुधवार को भाजपा ऑफिस में मीटिंग में शामिल होने पहुंचे मंत्री नागर सिंह चौहान से जब पूछा गया कि वन मंत्रालय फिलहाल खाली है, रामनिवास रावत ने इस्तीफा दे दिया है, क्या आप उसे संभालने के लिए तैयार हैं? इसके जवाब में नागर ने कहा -यह मुख्यमंत्री जी का विशेष अधिकार है, अगर वह देंगे तो संभालने के लिए मैं तैयार हूं।
केंद्रीय मंत्री यादव से मिले विजय शाह
पिछली शिवराज सरकार में वन मंत्री रहे कुंवर विजय शाह भी वन मंत्रालय पाने के लिए जुगत बैठाने में लगे हुए हैं। मप्र सरकार में जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने मंगलवार को दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की। शाह की यादव से मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि, भूपेंद्र यादव मप्र विधानसभा चुनाव में प्रदेश प्रभारी थे। भोपाल से लेकर दिल्ली तक भूपेंद्र यादव प्रभावशाली नेता हैं। ऐसे में दोनों के बीच हुई मुलाकात को वन मंत्रालय की रस्साकशी से जोडक़र देखा जा रहा है।