स्वतंत्र समय, भोपाल
जल संसाधन विभाग में प्रमुख अभियंता शिरीष मिश्रा ( Shirish Mishra ) की गलत पदस्थापना का मामला अब राज्यपाल के पास पहुंच गया है। इसके पहले हाईकोर्ट ने रिटायर अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को प्रमुख अभियंता का प्रभार दिए जाने पर मप्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। इसके बावजूद वे ईएनसी के रूप में काम करते रहे।
Shirish Mishra की संविदा नियुक्ति की गई थी
इधर, मप्र शासकीय अधिकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रघुवीर शर्मा ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर मिश्रा ( Shirish Mishra ) की नियुक्ति को निरस्त करने और उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। जल संसाधन विभाग में रिटायर अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा की संविदा नियुक्ति के साथ ही उन्हें मुख्य अभियंता पद पर पदस्थ करते हुए प्रभारी ईएनसी का प्रभार सौंपा था। जबकि विभाग में इस पद के लिए योग्य करीब 8 अधीक्षण यंत्री स्थायी रूप से कार्यरत हैं, जो शिरीष मिश्रा से सीनियर थे और जिनकी सेवा 12 वर्ष से अधिक हो चुकी है। सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री को संविदा पर रखकर प्रमुख अभियंता के पद का प्रभार दिए जाने की नियम विरुद्ध प्रक्रिया पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। इस मामले में कुछ इंजीनियरों ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था और कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद भी मिश्रा ईएनसी के रूप में अभी भी काम कर रहे हैं, जबकि जल संसाधन विभाग को इस मामले में सीनियरिटी पर ध्यान देना था, वहीं ईओडब्ल्यू से मिली क्लीनचिट मामले की जांच भी विभाग द्वारा नहीं की गई। इस विसंगति को दूर करने की मांग की जा रही है, जिससे नियमानुसार जल संसाधन विभाग एवं नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण में वरिष्ठ स्थायी अधीक्षण इंजीनियरों को तकनीकी सचिव का प्रभार सौंपा जा सके।