स्वतंत्र समय, भोपाल/नर्मदापुरम
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम की कलेक्टर सोनिया मीणा ( Sonia Meena ) को एक मामले की सुनवाई के दौरान न सिर्फ कड़ी फटकार लगाई है, बल्कि एडीएम डीके सिंह पर भी नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि इनके लिए सब कुछ कलेक्टर साहब हो गए। कलेक्टर के नाम की चिट्ठी लेकर आते हैं और कोर्ट में लहराते हैं।
कोर्ट ने Sonia Meena के खिलाफ कार्रवाई की बात की है
दरअसल, हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम में जमीन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कलेक्टर सोनिया मीणा ( Sonia Meena ) को हाजिर होने को कहा था। लेकिन कलेक्टर ने खुद आने की बजाय एडीएम के हाथों सीधे हाईकोर्ट जज के नाम एक चिट्ठी भेज दी। हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी बात सरकारी वकील के जरिए ही कोर्ट में रख सकता है, इस तरह सीधे जज को चिट्ठी नहीं भेज सकता। कोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर के इस रवैये पर उनके खिलाफ कार्रवाई की बात की है। हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा कि आखिर क्यों निर्देश के बावजूद कलेक्टर कोर्ट में हाजिर नहीं हुईं। हाईकोर्ट ने नर्मदापुरम कलेक्टर पर कार्रवाई को लेकर आदेश सुरक्षित रखा है।
जस्टिस अहलूवालिया बोले- मजाक बनाकर रखा हुआ है
जस्टिस अहलूवालिया ने कलेक्टर की तरफ से लेटर लेकर आए एडीएम पर भी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा- एडिशनल कलेक्टर हैं तो उसे लगता था कि मेरी कलेक्टर हैं ये तो कुछ भी कर सकती हैं। मजाक बनाकर रखा हुआ है। जब डिप्टी एडवोकेट जनरल कलेक्टर की तरफ से बात कर रहा है और वो पीछे खड़े होकर मुझे कलेक्टर का लेटर दिखा रहा है। जस्टिस अहलूवालिया ने कहा कि सीधे संस्पेड करने के निर्देश देता हूं, फिर देखता हूं कि कैसे सीएस उसे रिमूव करते हैं। आप लोगों के अफसरों की इतनी हिम्मत बढ़ गई कि आपको कुछ नहीं समझते। एडीएम समझते हैं कि अगर हाईकोर्ट जज को कलेक्टर ने लेटर लिख दिया तो सब कुछ हो गया।
आखिर क्या है मामला
दरअसल, नर्मदापुरम में रहने वाले प्रदीप अग्रवाल और नितिन अग्रवाल का जमीन को लेकर विवाद था। विवाद नहीं सुलझा तो इसे लेकर प्रदीप अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने नामांतरण की प्रक्रिया नए सिरे से करने का आदेश दिया था। आदेश के बाद जब वापस जमीन नामांतरण का केस नर्मदापुरम गया तो वहां पर नामांतरण की कार्यवाही न कर सिवनी मालवा तहसीलदार ने दूसरे पक्ष नितिन अग्रवाल से बंटवारे का आवेदन रिकॉर्ड में लेकर प्रक्रिया शुरू कर दी, जबकि हाईकोर्ट का आदेश था कि इसमें नामांतरण करना है, न कि बंटवारा।