स्वतंत्र समय, जबलपुर/भोपाल
यूनियन कार्बाइड ( Yuca Garbage ) का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच के सामने सरकार ने कहा- मिस लीडिंग से यह स्थिति बनी। हालात बिगड़े हैं। अदालत में मप्र सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा-3 दिसंबर को हाईकोर्ट ने यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। सरकार को चेतावनी भी दी थी कि अगर निर्देश का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। इसलिए हमें 6 सप्ताह का समय दिया जाए। इस तर्क को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 18 फरवरी दी है।
Yuca Garbage के कंटेनर खाली करने की अनुमति बरकरार
महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि यूनियन कार्बाइड ( Yuca Garbage ) का रासायनिक कचरा वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाए। उसी आदेश के अनुसार, राज्य सरकार ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस, डॉक्टर और प्रशिक्षित लोगों की टीम के जरिए इसे कंटेनरों में पैक किया और पीथमपुर ले गए। इससे पहले कि इस रासायनिक कचरे को नष्ट किया जाता, पीथमपुर के आसपास जनता ने कानून-व्यवस्था बिगाडऩे की कोशिश की। इसकी वजह कुछ अफवाहें और फर्जी खबरें रहीं। राज्य सरकार पीथमपुर में जनता को शांत करने और समझाने के लिए 6 सप्ताह का समय चाहती है। महाधिवक्ता ने कहा कि अभी यह रासायनिक कचरा 12 कंटेनरों में भरकर रखा हुआ है। इसे बहुत दिन तक कंटेनर में नहीं रखा जा सकता। हम कोर्ट से अनुमति चाहते हैं कि जिस फैक्ट्री में इस कचरे को नष्ट किया जाना है, वहां कंटेनर खाली करने की अनुमति दें। दलीलें सुनने के बाद चीफ जस्टिस कैत ने कचरा खाली करने की अनुमति देते हुए अगली तारीख दे दी।
हमने जो कहा था, वही बात हमने कोर्ट में भी रखी: सीएम
पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को जलाने पर हाई कोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा -हमने जो कहा था वही बात हमने हाई कोर्ट में भी रखी है। हमने कहा कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार हमने यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर में शिफ्ट किया था। पीथमपुर में जन-भावनाओं का, बाकी सभी पक्षों को सुनने का मौका मिलना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस बात को माना है और सभी पक्षों को सुनने के लिए 6 सप्ताह का वक्त दिया है। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट अपना फैसला देगा। इस फैसले के लिए मैं माननीय हाई कोर्ट को धन्यवाद देता हूं।