Indore ट्रक हादसे पर हाईकोर्ट सख्त, पुलिस कमिश्नर से मांगा जवाब

Indore में कुछ दिन पहले हुए एक भयानक सड़क हादसे ने पूरे प्रदेश को हिला दिया था। तेज रफ्तार ट्रक ने नो-एंट्री जोन में घुसकर कई वाहनों और राहगीरों को रौंद दिया था। इस दर्दनाक घटना में तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 35 लोग घायल हुए। घटना की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इंदौर पुलिस कमिश्नर से विस्तृत जवाब तलब किया है।

कोर्ट का सवाल – नो-एंट्री जोन में ट्रक पहुंचा कैसे?

हाईकोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई के दौरान पुलिस प्रशासन पर कड़ी टिप्पणी की और पूछा कि जब उस क्षेत्र में भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक है, तो ट्रक वहां तक कैसे पहुंच गया। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि पुलिस ने समय रहते वाहन को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। कोर्ट ने इस मामले को गंभीर प्रशासनिक चूक बताते हुए जिम्मेदारी तय करने की बात कही।

पुलिस कमिश्नर को 19 नवंबर तक पेश करनी होगी रिपोर्ट

चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजन बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह को 19 नवंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पेश होने के आदेश दिए हैं। उनसे पूछा जाएगा कि हादसे के बाद अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए कि शहर की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए ठोस और दीर्घकालिक योजना तैयार की जाए।

न्याय मित्र के सुझावों पर कोर्ट का जोर

सुनवाई के दौरान न्याय मित्र (Amicus Curiae) विवेक शर्मा ने कोर्ट को बताया कि हादसे के बाद भी पर्याप्त सुरक्षा प्रबंधन नहीं किया गया। उन्होंने सुझाव दिया कि संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए विशेष निगरानी टीम गठित की जाए। अदालत ने इन सुझावों को गंभीरता से लेते हुए सरकार को इन्हें लागू करने के निर्देश दिए।

सरकार की कार्रवाई और जनता का आक्रोश

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हादसे के बाद त्वरित कार्रवाई करते हुए आठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया था। मृतकों के परिवारों को चार लाख रुपए और घायलों को एक लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी गई, साथ ही उनका इलाज सरकारी खर्चे पर कराया जा रहा है। इसके बावजूद लोगों में गुस्सा बना हुआ है। नागरिकों का कहना है कि अगर प्रशासन पहले सख्त होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

कोर्ट की चेतावनी – अगली सुनवाई तक हो ठोस रिपोर्ट

हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल एक सड़क हादसा नहीं बल्कि पुलिस और प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। अदालत ने सरकार से कहा कि लोगों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर अगली सुनवाई तक संतोषजनक रिपोर्ट नहीं आई, तो न्यायालय कड़े आदेश जारी करेगा।

भविष्य की सुरक्षा के लिए सख्त निगरानी की आवश्यकता

अदालत का रुख साफ है कि अब ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए। विशेष निगरानी टीम, स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन और जिम्मेदार पुलिसिंग जैसे कदम भविष्य में इंदौर जैसे व्यस्त शहरों को अधिक सुरक्षित बना सकते हैं। कोर्ट का यह हस्तक्षेप न केवल हादसे के पीड़ितों के लिए न्याय की उम्मीद जगाता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि लापरवाही पर अब कोई समझौता नहीं होगा।