ऑनलाइन गेमिंग कानून को लेकर शुक्रवार को सचिव स्तर पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस चर्चा में गेमिंग प्लेटफॉर्म्स के प्रतिनिधियों के साथ-साथ बैंकिंग और फिनटेक कंपनियों के अधिकारी भी शामिल रहे। बैठक का मकसद सभी स्टेकहोल्डर्स को यह बताना था कि नए कानून में उनके लिए क्या प्रावधान होंगे और आगे इसका पालन किस तरह से होगा। अधिकारियों ने साफ किया कि यह एक सतत प्रक्रिया है और जल्द ही इससे जुड़े नियम स्पष्ट रूप से लागू किए जाएंगे।
भुगतान प्रणाली को कानून से जोड़ने की कवायद
बैठक का मुख्य उद्देश्य बैंकों और भुगतान मध्यस्थों (Payment Intermediaries) को इस कानून से जोड़ना था। सरकार का जोर मल्टी-टियर इम्प्लीमेंटेशन पर है ताकि ऑनलाइन रियल मनी गेम्स (Real Money Games) से जुड़े वित्तीय लेन-देन पर रोक लगाई जा सके। बैंकों और पेमेंट गेटवे को निर्देश दिए गए कि वे ब्लॉकिंग और रिपोर्टिंग के लिए सशक्त सिस्टम तैयार करें, ताकि अवैध लेन-देन को रोका जा सके।
फिनटेक और बैंकों की जिम्मेदारी बढ़ी
बैठक में फिनटेक कंपनियों और बैंकों को यह समझाया गया कि उन्हें इस कानून को गंभीरता से लागू करना होगा। इसके सामाजिक पहलुओं पर भी जोर दिया गया, जैसे ऑनलाइन गेमिंग की लत, आत्महत्या और युवाओं पर मानसिक प्रभाव। अधिकारियों ने कंपनियों से लोगों की शिकायतों पर नजर रखने और पैसों की आवाजाही (Money Trail) को ट्रैक करने की सख्त जिम्मेदारी निभाने के निर्देश दिए।
सरकार का रुख: प्रगतिशील कानून, संतुलित दृष्टिकोण
बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि सरकार कानून को सिर्फ दंडात्मक रूप में नहीं देख रही है। बल्कि इसका उद्देश्य ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ाना है। सरकार चाहती है कि कानून जनता की भावनाओं और स्टेकहोल्डर्स के हितों के बीच संतुलन बनाकर आगे बढ़े। इससे पहले खेल मंत्रालय ने भी ई-स्पोर्ट्स पर उद्योग जगत से परामर्श किया था।
ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने पर जोर
नए ऑनलाइन गेमिंग कानून के तहत रियल मनी गेम्स पर रोक लगा दी गई है, लेकिन सरकार का पूरा ध्यान अब ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने पर है। इस कदम से भारतीय गेमिंग इकोसिस्टम और आईटी इंडस्ट्री को नई दिशा मिलने की संभावना है।
- भारतीय डेवलपर्स को लोकल गेम्स बनाने का मौका मिलेगा।
- ई-स्पोर्ट्स खिलाड़ियों को प्राइज मनी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
- आईटी और स्टार्टअप सेक्टर को विस्तार और निवेश के नए अवसर मिलेंगे।
- भारत को ग्लोबल ई-स्पोर्ट्स मार्केट में मजबूत पहचान बनाने का अवसर मिलेगा।