भारत सरकार आने वाले वर्षों में अपने हाई-स्पीड रोड नेटवर्क को नई ऊँचाई पर ले जाने की योजना बना रही है। इसके लिए करीब 125 बिलियन डॉलर यानी लगभग 11 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। लक्ष्य है कि अगले एक दशक में सड़क नेटवर्क को पाँच गुना बढ़ाया जाए ताकि लॉजिस्टिक्स की लागत घटे और परिवहन व्यवस्था को आधुनिक बनाया जा सके।
17,000 किलोमीटर का नया नेटवर्क
रिपोर्ट के अनुसार, देश में 17,000 किलोमीटर लंबाई तक उच्च स्तरीय नियंत्रित सड़कें तैयार होंगी। इन सड़कों पर वाहन चालक 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सुरक्षित और तेज यात्रा कर सकेंगे। यह पारंपरिक राजमार्गों की तुलना में ज्यादा कुशल और सुविधाजनक होगा। बताया गया है कि इस नेटवर्क का लगभग 40% हिस्सा निर्माणाधीन है और 2030 से पहले तैयार हो जाएगा, जबकि शेष परियोजनाएं 2028 तक शुरू होकर 2033 तक पूरी होने की उम्मीद है।
चीन और अमेरिका से तुलना
भारत की यह महत्वाकांक्षी योजना वैश्विक स्तर पर बुनियादी ढांचे में तेजी से हो रहे निवेश के अनुरूप है। उदाहरण के लिए, चीन ने 1990 के दशक से अब तक 1.8 लाख किलोमीटर से अधिक एक्सप्रेसवे बना लिए हैं, वहीं अमेरिका 75,000 किलोमीटर से अधिक अंतरराज्यीय राजमार्गों का संचालन करता है। भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क की लंबाई मार्च 2024 तक 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी थी, लेकिन इनमें से सिर्फ 4,500 किलोमीटर ही हाई-स्पीड मानकों पर खरे उतरते हैं।
निवेश मॉडल और निजी कंपनियों की भूमिका
सरकार इस प्रोजेक्ट में निजी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की तैयारी में है। जिन परियोजनाओं में 15% या उससे ज्यादा रिटर्न की संभावना होगी, उन्हें बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT) मॉडल के तहत निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा। वहीं कम रिटर्न वाली परियोजनाओं में हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल अपनाया जाएगा, जिसमें सरकार निर्माण लागत का 40% पहले ही देती है। वर्तमान में ज़्यादातर परियोजनाएं हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल पर आधारित हैं, लेकिन अब सरकार चाहती है कि निजी निवेशक भी अधिक सक्रिय हों।
बजट और खर्च का रुझान
भारत का हाईवे नेटवर्क विस्तार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के नेतृत्व में किया जा रहा है। NHAI ने मार्च 2024 में समाप्त वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड 2.5 ट्रिलियन रुपये खर्च किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 21% अधिक था। आगामी वित्तीय वर्ष 2026 तक सड़कों और राजमार्गों के लिए बजट को बढ़ाकर 2.9 ट्रिलियन रुपये कर दिया गया है।
विदेशी और घरेलू निवेशकों की दिलचस्पी
भारत के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में विदेशी और घरेलू निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है। ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट, ब्लैकस्टोन, मैक्वेरी ग्रुप और कनाडा पेंशन प्लान इन्वेस्टमेंट बोर्ड ने निवेश की प्रतिबद्धता दिखाई है। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने भी सड़क और अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में 18.4 अरब डॉलर के निवेश की घोषणा की है।
इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बड़ा अवसर
डेलॉयट इंडिया के अनुमानों के मुताबिक, नीतिगत सहयोग, बढ़ती मांग और मेगा प्रोजेक्ट्स के कारण आने वाले तीन वर्षों में भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश आकर्षित हो सकता है। यह न केवल देश की आर्थिक वृद्धि को गति देगा बल्कि रोजगार और कनेक्टिविटी के नए अवसर भी पैदा करेगा।