देशभर में हाईवे पर सफर करने वालों के लिए आने वाले समय में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। वर्ष 2026 के अंत तक भारत में पूरी तरह AI आधारित डिजिटल टोल कलेक्शन सिस्टम लागू करने की तैयारी है। इसके लागू होने के बाद टोल प्लाजा पर वाहनों को रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे यात्रा न केवल तेज होगी बल्कि जाम और अनावश्यक रुकावटों से भी छुटकारा मिलेगा।
बिना रुके होगी टोल वसूली
नए सिस्टम के तहत मल्टी लेन फ्री फ्लो (MLFF) तकनीक को अपनाया जाएगा। इस व्यवस्था में वाहन तय गति से चलते हुए ही टोल क्रॉस कर सकेंगे। पहले FASTag लागू होने के बाद टोल पर रुकने का समय काफी कम हुआ था, लेकिन MLFF सिस्टम के बाद यह इंतजार पूरी तरह खत्म हो जाएगा। वाहन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी टोल पार कर सकेंगे।
AI और सैटेलाइट तकनीक का होगा इस्तेमाल
डिजिटल टोल सिस्टम पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होगा। इसमें सैटेलाइट की मदद से वाहन की नंबर प्लेट की पहचान की जाएगी। AI, FASTag और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन तकनीक को मिलाकर टोल की वसूली की जाएगी। इससे टोल चोरी पर लगाम लगेगी और पूरा सिस्टम अधिक पारदर्शी बनेगा।
ईंधन और समय दोनों की होगी बचत
इस नई तकनीक के लागू होने से देश को हर साल बड़ी मात्रा में ईंधन की बचत होने की उम्मीद है। टोल प्लाजा पर रुकने और दोबारा गाड़ी चलाने से जो ईंधन बर्बाद होता था, वह पूरी तरह बचेगा। इसके साथ ही यात्रा का समय भी कम होगा, जिससे आम लोगों को सीधा फायदा मिलेगा।
सरकार की आय में भी होगा इजाफा
डिजिटल टोल सिस्टम से सरकार की आय में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने की संभावना है। पहले FASTag लागू होने से ही राजस्व में बड़ा इजाफा देखा गया था। MLFF सिस्टम के बाद टोल कलेक्शन और अधिक प्रभावी होगा, जिससे सरकारी आमदनी बढ़ेगी।
नेशनल हाईवे पर होगा फोकस
सरकार का मुख्य ध्यान नेशनल हाईवे पर इस सिस्टम को लागू करने पर है। उद्देश्य एक ऐसा टोल कलेक्शन मॉडल तैयार करना है जो तेज, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त हो। इस बदलाव के बाद देश की हाईवे यात्रा पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुगम हो जाएगी।