हिंदी साहित्य धर्मवीर भारती को कभी भुला नहीं सकता

अर्जुन राठौर

धर्मवीर भारती भारतीय साहित्य और पत्रकारिता के एक प्रख्यात व्यक्तित्व थे। उनका जन्म 25 दिसंबर 1926 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के प्रतिष्ठित लेखकों और कवियों में से एक थे। धर्मवीर भारती ने अपने लेखन और संपादन के माध्यम से साहित्यिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में गहरा योगदान दिया।

धर्मवीर भारती का बचपन संघर्षपूर्ण रहा। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम.ए. की पढ़ाई पूरी की, जहां वे स्वर्ण पदक विजेता रहे। उनकी प्रतिभा और मेधा ने उन्हें कम उम्र में ही साहित्य के प्रति आकर्षित किया। विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही उनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य जगत का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर दिया था।

धर्मवीर भारती ने साहित्य के लगभग हर क्षेत्र में काम किया—उपन्यास, कहानी, कविता, निबंध, और नाटक। उनका लेखन शैलीगत सौंदर्य, गहरी संवेदनशीलता और सामाजिक सरोकारों का अद्भुत मिश्रण है। उनका सबसे प्रसिद्ध उपन्यास “गुनाहों का देवता” है, जिसे हिंदी साहित्य में एक मील का पत्थर माना जाता है। यह उपन्यास प्रेम, बलिदान, और सामाजिक मान्यताओं की गहन पड़ताल करता है। अन्य प्रमुख उपन्यासों में “सूरज का सातवां घोड़ा” शामिल है, जो एक अनूठी कथात्मक शैली में लिखा गया है।

धर्मवीर भारती की कविताएं भावनाओं और संवेदनाओं से ओत-प्रोत हैं। उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं “ठंडा लोहा” और “सपनों का सैनिक” उनका नाटक “अंधा युग” भारतीय साहित्य के आधुनिक नाटकों में सर्वाधिक चर्चित है। यह महाभारत के आखिरी दिनों पर आधारित है और युद्ध के बाद के नैतिक और सामाजिक प्रश्नों पर विचार करता है।

धर्मवीर भारती ने साहित्य के साथ-साथ पत्रकारिता में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी। वे प्रतिष्ठित पत्रिका ‘धर्मयुग’ के संपादक रहे, जो उनके कार्यकाल में अत्यधिक लोकप्रिय हुई। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। धर्मवीर भारती का व्यक्तित्व सरल, विनम्र और सृजनशील था। वे न केवल एक लेखक और संपादक थे, बल्कि एक विचारक और प्रेरक भी थे। उनके लेखन में भारतीय समाज, संस्कृति और नैतिक मूल्यों की झलक मिलती है। उन्होंने अपने समय की जटिलताओं और समस्याओं को गहराई से समझा और अपनी रचनाओं के माध्यम से उन्हें प्रस्तुत किया।

धर्मवीर भारती को उनके साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1972 में पद्मश्री पुरस्कार मिला। उनकी कृतियां आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं और उनकी प्रासंगिकता बनी हुई है। धर्मवीर भारती का निधन 4 सितंबर 1997 को हुआ। उनकी मृत्यु ने साहित्य और पत्रकारिता जगत में एक बड़ी शून्यता पैदा कर दी, लेकिन उनकी रचनाएं हमेशा उनकी उपस्थिति का एहसास कराती रहेंगी।

धर्मवीर भारती न केवल एक उत्कृष्ट साहित्यकार थे, बल्कि समाज के प्रति गहरी संवेदनशीलता रखने वाले विचारक भी थे। उनके लेखन ने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और समाज को एक नई दिशा दी। उनकी कृतियां और योगदान आज भी हिंदी साहित्य में अनुकरणीय माने जाते हैं।