MP हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, ओबीसी शिक्षक भर्ती पर अब नहीं होगी कोई रुकावट

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती 2018 के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया है कि वे नियमों में संशोधन कर दोबारा भर्ती प्रक्रिया आयोजित करें। यदि आवश्यक हो, तो अतिरिक्त पद सृजित कर याचिकाकर्ताओं की भर्ती की जाए। इसके अलावा, अदालत ने सरकार से पूछा है कि जब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) का आरक्षण 2019 में लागू हुआ, तो इसे 2018 की भर्ती में कैसे लागू किया गया। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि वे दो महीने के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूरी करें।

इस मामले में 21 दिन पहले विकास नंदानिया, डॉ. रिंकी शिवहरे, कृतिका साहू और कविता पाटीदार समेत कुछ अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की थी। उनके वकील पुष्पेंद्र शाह ने दलील दी कि विभाग 911 ओबीसी होल्ड पदों को खत्म करना चाहता है, जबकि आयुक्त और अपर संचालक का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है। सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया, जिस पर अदालत ने 4 सप्ताह का समय दिया है। साथ ही, मामले को 6 सप्ताह बाद फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई तक 2018 की भर्ती के 13% ओबीसी होल्ड पदों की पूरी जानकारी अदालत को देनी होगी। साथ ही, अदालत ने यह स्पष्ट किया कि अगली भर्ती में इन पदों को कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकेगा। इस फैसले से हजारों ओबीसी अभ्यर्थियों को न्याय की उम्मीद मिली है।

एमपी हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकल पीठ ने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता एस.सी. वर्मा पर कोर्ट को गुमराह करने के आरोप में एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जो उन्हें अपनी जेब से कोर्ट विधिक सेवा समिति के कोष में जमा करना होगा। कोर्ट ने पाया कि वर्मा ने धोखाधड़ी का व्यवहार किया, जिसके चलते उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। प्रमुख सचिव, PWD को तीन महीने के भीतर जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को कहा गया है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आदेशों का पालन नहीं हुआ, तो अगली सुनवाई में मुख्य अभियंता को फिर से पेश होना होगा। इससे पहले, कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग, बालाघाट के कार्यपालन अभियंता भरत सिंह अड़मे पर भी कड़ी टिप्पणी की थी और PWD के इंजीनियर-इन-चीफ को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर जवाब देने का निर्देश दिया था।