मध्य प्रदेश के सामाजिक न्याय की लड़ाई में आज एक ऐतिहासिक दिन दर्ज हो गया है। ओबीसी महासभा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राधे जाट के नेतृत्व में वर्षों से चल रहे संघर्ष को आज निर्णायक सफलता मिली जब राज्य शासन द्वारा डॉ. नीलेश देसाई की पशुपालन एवं डेयरी विभाग से पिछड़ा वर्ग तथा अनूसूचित जाति कल्याण विभाग में की गई प्रतिनियुक्ति को एकतरफा निरस्त कर दिया गया।
यह निर्णय दिनांक 28 अप्रैल 2025 को जारी आदेश क्रमांक F 4/16/0002/2024-Sec-1-35(ANH) द्वारा लिया गया, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि डॉ. नीलेश देसाई की प्रतिनियुक्ति समाप्त की जाती है और उन्हें दिनांक 1 मई 2025 तक वर्तमान पदस्थापन स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं। अनुपस्थिति की स्थिति में म.प्र. सिविल सेवा नियम 1966 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
क्या है मामला?
डॉ. नीलेश देसाई, जो कि पूर्व में पशुपालन एवं डेयरी विभाग में अतिरिक्त उप संचालक के पद पर कार्यरत थे, को पिछड़ा वर्ग एवं अनूसूचित जाति कल्याण विभाग में विशेष दायित्व सौंपा गया था। इसके तहत वे सचिव, मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के पद पर कार्यरत थे। परंतु उनके कार्यकाल में लगातार वित्तीय, प्रशासनिक एवं जातिगत भेदभाव से जुड़ी गंभीर शिकायतें सामने आती रहीं।
ओबीसी महासभा युवा मोर्चा के अध्यक्ष राधे जाट ने डॉ. देसाई के विरुद्ध सैकड़ों पृष्ठों में प्रमाण, शिकायतें और साक्ष्य एकत्र कर सीधे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को सौंपे। राधे जाट ने यह आरोप लगाया कि डॉ. देसाई अपने पद का दुरुपयोग कर ओबीसी वर्ग के वास्तविक हितों की उपेक्षा कर रहे थे और योजनाओं के क्रियान्वयन में गंभीर अनियमितताएं थीं।
जनता की आवाज बनी संघर्ष की नींव
ओबीसी महासभा युवा मोर्चा का यह आंदोलन सिर्फ एक व्यक्ति के विरुद्ध नहीं था, बल्कि यह सामाजिक न्याय और प्रशासनिक पारदर्शिता की मांग का प्रतीक बन गया था। पूरे प्रदेश में धरना, ज्ञापन, जनजागरण अभियान, सोशल मीडिया पर व्यापक अभियान और जन प्रतिनिधियों को लिखे गए पत्रों ने इस आंदोलन को जन-आंदोलन में तब्दील कर दिया।
राधे जाट ने स्वयं कई बार मंत्रालय जाकर संबंधित विभागों के सचिवों, प्रमुख सचिवों और राज्यपाल कार्यालय को ज्ञापन सौंपे। उन्होंने प्रेस के माध्यम से बार-बार यह बात उठाई कि यदि शासन-प्रशासन में पारदर्शिता और सामाजिक संतुलन कायम रखना है, तो ऐसे पदों पर ऐसे अधिकारियों की नियुक्ति को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए जो समाज की उपेक्षा कर रहे हों।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिया संज्ञान
लंबे समय से चल रहे इस संघर्ष और बढ़ते जनदबाव को देखते हुए अंततः मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूरे प्रकरण पर गंभीरता से संज्ञान लिया। उच्च स्तरीय समीक्षा के बाद, दिनांक 28 अप्रैल 2025 को एक कड़े आदेश द्वारा डॉ. नीलेश देसाई की प्रतिनियुक्ति तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई।
यह निर्णय न केवल प्रशासनिक सख्ती का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक संगठनों की शक्ति और जागरूकता का भी प्रतीक बन गया है।
राधे जाट का बयान
राधे जाट ने इस अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए कहा: “यह जीत किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे ओबीसी समाज की है। हमने सत्य, न्याय और संविधानिक मूल्यों के पक्ष में संघर्ष किया और अंततः हमारी आवाज शासन तक पहुँची। हम मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का हृदय से धन्यवाद करते हैं जिन्होंने सच्चाई के पक्ष में निर्णय लिया। अब हम इसी प्रकार अन्य विभागों में व्याप्त अनियमितताओं को भी उजागर करेंगे और सामाजिक न्याय की लड़ाई को और तेज़ करेंगे।”
भविष्य की रणनीति
राधे जाट ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ शुरुआत है। ओबीसी महासभा युवा मोर्चा अब सभी जिलों में “ओबीसी अधिकार यात्रा” निकालने जा रही है, जिसमें विभागीय भ्रष्टाचार, जातीय भेदभाव और शासन स्तर पर अनदेखी के विरुद्ध जागरूकता फैलाई जाएगी। इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार से यह भी मांग की जाएगी कि सभी विभागों में ओबीसी प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस नीति बनाई जाए।
जनता का समर्थन
डॉ. नीलेश देसाई के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं देखने लायक थीं। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर #RadheJatVictory और #OBCJustice जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोगों ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अब उन्हें लग रहा है कि शासन उनकी सुन रहा है।
आज का दिन ओबीसी समाज के लिए एक ऐतिहासिक जीत का प्रतीक है। यह निर्णय दिखाता है कि जब समाज संगठित होता है, तो बड़ी से बड़ी प्रशासनिक दीवार भी हिलाई जा सकती है। राधे जाट और ओबीसी महासभा युवा मोर्चा ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र में जनता की आवाज सबसे ऊपर होती है।
आने वाले दिनों में यह संघर्ष और तेज़ होगा, क्योंकि अभी भी समाज के अनेक हिस्सों में अन्याय और भेदभाव की शिकायतें जारी हैं। राधे जाट ने यह वादा किया है कि वे इन सभी शिकायतों की आवाज बनेंगे और प्रशासन को जवाबदेह बनाएंगे।