Holi 2025: कब से लग रहा है होलाष्टक? इस दौरान बिल्कुल भी न करें ये 5 काम, माना जाता है अशुभ

Holi 2025: होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी और यह 13 मार्च तक चलेगा। यह आठ दिवसीय अवधि होती है, जो होली से पहले आती है और इसे ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ माना जाता है। इस दौरान शुभ कार्य, जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण आदि नहीं किए जाते हैं। मान्यता है कि इन आठ दिनों में ग्रहों की स्थिति अशांत रहती है, जिससे नए कार्यों में बाधाएं आ सकती हैं। खासतौर पर उत्तर भारत, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में, होलाष्टक के नियमों का पालन किया जाता है। हालांकि, इस समय का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है, क्योंकि भक्त भगवान विष्णु और प्रह्लाद की भक्ति में लीन रहते हैं और होली की तैयारियां भी इसी दौरान शुरू होती हैं। इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है, जिससे शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और अन्य मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है।

होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से होगी और यह 13 मार्च तक चलेगा। यह आठ दिवसीय अवधि होती है, जो होली से पहले आती है और ज्योतिषीय दृष्टि से अशुभ मानी जाती है। इस दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र होती है, जिससे शुभ कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण और अन्य मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती है। होलाष्टक का संबंध भक्त प्रह्लाद की कथा से जुड़ा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को प्रताड़ित किया था, लेकिन वह भगवान विष्णु की कृपा से सुरक्षित रहे। इसी कारण से इस अवधि को उग्र और अशुभ माना जाता है। इस समय चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों की स्थिति असंतुलित हो जाती है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और कई तरह की बाधाएं उत्पन्न होती हैं। हालांकि, इस समय का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी है, क्योंकि भक्त भगवान विष्णु और प्रह्लाद की भक्ति में लीन रहते हैं और होली की तैयारियां भी इसी दौरान शुरू होती हैं।

होलाष्टक के दौरान नकारात्मक प्रभावों से बचने और आध्यात्मिक लाभ पाने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, विशेष रूप से “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करना लाभकारी होता है। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें, जिससे नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। मुख्य द्वार पर हल्दी और सिंदूर से स्वस्तिक बनाएं और रोजाना घर में दीप जलाएं। कपूर जलाकर पूरे घर में घुमाएं, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी। हनुमान चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और ग्रहों के दुष्प्रभाव कम होते हैं। इस समय अधिक वाद-विवाद और क्रोध से बचें, ताकि मानसिक शांति बनी रहे और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।