महाकाल मंदिर में इस बार नहीं मनाई जाएगी होली, बाबा को अर्पित होगा प्रतीकात्मक रंग, अबीर-गुलाल लाना रहेगा प्रतिबंधित

महाकालेश्वर मंदिर, जो विश्वभर में अपनी विशेषता के लिए प्रसिद्ध है, इस बार होली के पर्व को लेकर एक नई पहल कर रहा है। हर साल की तरह इस बार भी महाकाल के आंगन में होली का त्योहार सबसे पहले मनाया जाएगा, लेकिन इस बार सुरक्षा और व्यवस्था के मद्देनजर कई नई गाइडलाइंस जारी की गई हैं।

रंग गुलाल के बजाय, बाबा को चढ़ेगा प्रतीकात्मक गुलाल

महाकाल मंदिर में इस साल होली पर रंग-गुलाल उड़ाने की परंपरा पर ब्रेक लगाई गई है। इस बार संध्या आरती के दौरान बाबा महाकाल को केवल एक किलो हर्बल गुलाल अर्पित किया जाएगा। पिछले साल हुए हादसे के मद्देनजर, अब श्रद्धालुओं को रंग गुलाल लाने की अनुमति नहीं होगी। पंडित पुजारियों को ही गुलाल मंदिर समिति द्वारा प्रदान किया जाएगा।

रंग गुलाल ले जाना सख्त मना

मंदिर समिति ने विशेष रूप से यह निर्देश जारी किया है कि श्रद्धालु किसी भी प्रकार के रासायनिक रंग और गुलाल के साथ मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगे। खासकर 13, 14 और 19 मार्च को रंग पंचमी तक मंदिर परिसर में रंग उड़ाना पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंदिर परिसर में हर व्यक्ति की चेकिंग की जाएगी और कैमरे से निगरानी रखी जाएगी।

हर्बल गुलाल और गेहूं की बालियां बाबा को चढ़ाई जाएंगी

महाकाल के आंगन में खेले जाने वाले होली उत्सव के दौरान अबीर और हर्बल गुलाल से बाबा को अर्पित किया जाएगा। रासायनिक रंगों के बजाय प्राकृतिक और सुरक्षित गुलाल का ही इस्तेमाल किया जाएगा। यह कदम श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, ताकि किसी भी तरह का हादसा ना हो।

महाकाल की दिनचर्या में होगा बदलाव

होली के बाद महाकाल की दिनचर्या में भी परिवर्तन होगा। 15 मार्च से शुरू होने वाली गर्मी के मौसम के अनुसार बाबा महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाएगा, जो शरद पूर्णिमा तक जारी रहेगा। इसके अलावा, मंदिर की पांच आरतियों का समय भी अब गर्मी के हिसाब से बदल जाएगा।