स्वतंत्र समय, भोपाल
उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए उद्यानिकी ( Horticulture ) विभाग का विवादों से नाता कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, ताजा मामला माइक्रो इरीगेशन योजना के तहत जिलों को बजट आवंटन का है। अफसरों ने जिलों को बजट आवंटन में गड़बड़ी करते हुए उन सात जिलों को माइक्रो इरीगेशन योजना का 90 फीसदी बजट आवंटित कर दिया है जहां उद्यानिकी फसलों की खेती का रकबा कम है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंच गई है।
45 जिलों में Horticulture का 80 प्रतिशत रकबा है
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश के 45 जिलों में उद्यानिकी ( Horticulture ) फसलों की सर्वाधिक खेती होती है। इन जिलों के कारण ही मप्र उद्यानिकी में देश में अपना स्थान बनाए हुए हैं। लेकिन विडंबना यह है कि उद्यानिकी महकमे की माइक्रो इरीगेशन योजना में अजब-गजब बजट आवंटन होने लगा है। जबकि 45 जिलों में उद्यानिकी का 80 प्रतिशत रकबा है और बजट सिर्फ 7 जिलों को ही आवंटित कर दिया गया। जहां सिर्फ 20 प्रतिशत ही उद्यानिकी रकबा है। उदाहरण के तौर पर भोपाल जिले को 4.25 करोड़ रुपए से ज्यादा बजट दे दिया गया है जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन के 6 ब्लॉकों के नाम पर सिर्फ 6 लाख रुपए ही आवंटित किए गए हैं। उज्जैन का उद्यानिकी रकबा भोपाल से दस गुना ज्यादा है, लेकिन बजट 8 गुना कम दिया गया।
दलाल और अफसर की मिलीभगत
उद्यानिकी संचालनालय के बजट आवंटन में लक्ष्य के विरुद्ध राशि 10.41 करोड़ रुपए 52 जिलों के लिए स्वीकृत हुए। इसमें से भोपाल, सीहोर, देवास, राजगढ़, बड़वानी, रायसेन और नर्मदापुरम को 8.96 करोड़ रुपए दिए गए। बजट आवंटन में गड़बड़ी की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। इसमें भोपाल स्थित कुछ कंपनियों के इशारे पर ग्वालियर के एक दलाल और उद्यानिकी महकमे में डेपुटेशन पर जमे एक अपर संचालक ने तय किया है। इसके बाद महकमे में हडक़ंप मचा है।
ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर में गड़बड़झाला
सूत्रों के अनुसार बजट के दुरुपयोग और गलत भुगतान संबंधी शिकायत उद्यानिकी मंत्री के ओएसडी महेश यादव के नाम से आई, जिसमें 10 ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर कंपनियों द्वारा योजना में फर्जीवाड़ा करना बताया गया। मजे की बात यह कि इस शिकायत में कोई भी प्रमाणिक साक्ष्य और तथ्य ना होने के बावजूद उद्यानिकी मंत्री के ओएसडी ने सर्विस प्रोटोकॉल को दरकिनार कर सीधे पत्र उद्यानिकी संचालक एवं आईएएस शशि भूषण सिंह को लिखा। इसमें भुगतान रोकने और बजट आवंटन ठीक करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद बजट का आवंटन नए सिरे से जारी हो गया।