कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष, और क्या है इनके फायदे?

Rudraksha Benefits : जब भी “रुद्राक्ष” का ज़िक्र होता है, तो आंखों के सामने भगवान शिव की छवि सहज ही उभर आती है। रुद्राक्ष को शिव का वरदान माना गया है, जो न केवल आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी अद्भुत गुणों से भरपूर है। हिंदू संस्कृति में इसे पवित्रता, संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है।

‘रुद्राक्ष’ शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों से हुई है, रुद्र (भगवान शिव) और अक्ष (आंख), जिसका अर्थ होता है “शिव की आंख से निकला आंसू”। यह दिव्य बीज, एक प्रकार का फल है, जो न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि ऊर्जा और चेतना का माध्यम भी है।

कितने प्रकार के होते हैं रुद्राक्ष?

रुद्राक्ष की विशेषता उसके मुखों (धारियों) में छिपी होती है। ये धारियां यह तय करती हैं कि रुद्राक्ष कौन-से देवी या देवता का प्रतिनिधित्व करता है और उससे जुड़ी ऊर्जा कैसी होगी। आम तौर पर 1 से 21 मुखी रुद्राक्ष मिलते हैं, परंतु धार्मिक व ज्योतिषीय दृष्टि से 14 मुखी तक के रुद्राक्ष का ही अधिक प्रयोग किया जाता है।

प्रमुख रुद्राक्ष और उनके आध्यात्मिक लाभ

1 मुखी रुद्राक्ष

  • यह सबसे दुर्लभ और शक्तिशाली माना जाता है।
  • लाभ: मोक्ष की प्राप्ति, नेतृत्व में सुधार, आत्मबोध और एकाग्रता में वृद्धि।

2 मुखी रुद्राक्ष

  • शिव और पार्वती के संयोग का रूप।
  • लाभ: वैवाहिक जीवन में सामंजस्य, रिश्तों में मधुरता और मानसिक स्थिरता।

3 मुखी रुद्राक्ष

  • यह अग्नि तत्व से जुड़ा होता है।
  • लाभ: पुराने दोषों से मुक्ति, आत्मविश्वास में वृद्धि, मानसिक अवसाद से राहत।

4 मुखी रुद्राक्ष

  • ज्ञान और सृजनशीलता का प्रतीक।
  • लाभ: शिक्षा, बुद्धि और अभिव्यक्ति की क्षमता में वृद्धि; छात्रों के लिए श्रेष्ठ।

5 मुखी रुद्राक्ष

  • भगवान शिव के पंचमुखी रूप से जुड़ा।
  • लाभ: पापों से मुक्ति, मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति।

6 मुखी रुद्राक्ष

  • गणेश और कार्तिकेय का प्रतीक
  • लाभ: स्मरण शक्ति, तर्क क्षमता और इच्छाशक्ति को मजबूत करता है।

7 मुखी रुद्राक्ष

  • लक्ष्मी स्वरूप
  • लाभ: धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति; आर्थिक समस्याओं से राहत।

8 मुखी रुद्राक्ष

  • विघ्नहर्ता गणेश और भैरव का रूप
  • लाभ: सभी बाधाओं से छुटकारा, राहु के दोषों का निवारण।

9 मुखी रुद्राक्ष

  • देवी दुर्गा का स्वरूप
  • लाभ: साहस, बल और सुरक्षा में वृद्धि; नकारात्मकता से रक्षा।

10 मुखी रुद्राक्ष

  • विष्णु का प्रतिनिधित्व
  • लाभ: बुरी शक्तियों, टोने-टोटके और भय से सुरक्षा; स्थिरता और आत्मबल में वृद्धि।

11 मुखी रुद्राक्ष

  • हनुमान और ग्यारह रुद्रों का स्वरूप
  • लाभ: निर्भयता, निर्णय लेने की शक्ति और आत्मविश्वास में इज़ाफा।

12 मुखी रुद्राक्ष

  • सूर्य देव का स्वरूप
  • लाभ: यश, प्रतिष्ठा और स्वास्थ्य में सुधार, हृदय रोगों और हड्डियों की समस्याओं में उपयोगी।

13 मुखी रुद्राक्ष

  • कामदेव और इंद्र का स्वरूप
  • लाभ: आकर्षण, करिश्मा और भौतिक सुखों की प्राप्ति में सहायक।

14 मुखी रुद्राक्ष

  • देवमणि, शिव का दिव्य रूप
  • लाभ: तीसरी आंख जागृत होती है, पूर्वाभास की शक्ति मिलती है, और जीवन की दिशा स्पष्ट होती है।

रुद्राक्ष धारण करने से पहले ये नियम जरूर जान लें

रुद्राक्ष केवल एक धार्मिक वस्तु नहीं, बल्कि एक ऊर्जा केंद्र है, इसलिए इसे धारण करने से पहले विशेष सावधानियां जरूरी हैं:

  • शुद्धिकरण आवश्यक: रुद्राक्ष को पहनने से पहले गंगाजल या कच्चे दूध से स्नान कराएं।
  • मंत्र जाप: धारण करते समय “ॐ नमः शिवाय” या अपने इष्ट देव का मंत्र जपें।
  • धारण की विधि: इसे चांदी, सोना या लाल रेशमी धागे में पहनना शुभ होता है।
  • स्वच्छता बनाए रखें: रुद्राक्ष को हमेशा पवित्र स्थान पर रखें। इसे शौचालय, श्मशान या अशुद्ध स्थानों पर ले जाना वर्जित है।
  • धार्मिक भाव बनाए रखें: इसे पहनते समय मानसिक और शारीरिक शुद्धता का पालन करें।


Disclaimer :
 इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य तथ्यों पर आधारित है। swatantrasamay.com इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।