30 फिट ऊंचे मेघनाथ पर रस्सा बांधकर झूले लोग
गौरव बंकर/पांढुर्णा : फागुन मास की होली पूर्णिमा के दूसरे दिन बुधवार को प्रसिद्ध मेघनाथ मेला धुरेंडी पर्व के साथ शुरूवात कर बड़े धूमधाम से क्षेत्रवासियों ने मनाया गया। प्राचीन काल से ग्राम वाडेगांव, मेघनाथ वार्ड पांदुर्णा राजडोंगरी तथा आदिवासी अंचलों में मेघनाथ रावण की याद में मंदिर परिसर में यह मेला प्रतिवर्ष लगता है|
मेले को लेकर किवदतिया प्रचलित है। आदिवासी परंपरा तहत मेले का वृहद आयोजन वर्षों से किया जा रहा है। होली पर इस मेले में मेघनाथ का झूला झूलने का रिवाज है। ग्राम पंचायत वाडेगांव उपसरपंच नूतन ढोके ने बताया की इस परंपरा को निभाते हुए लोगो ने 30 फिट ऊंचे मेघनाथ के खम्बो पर रस्सा बांधकर झुलाते है।
झूला झूलने मनौती वाले महिला पुरुषों को मचान पर चढ़ाया जाता है। यहां मौजूद भुमका पड़िहार उन्हें आड़ी लकड़ी के एक हिस्से पर पीठ के सहारे बांधते हैं और दूसरे सिरे को मजबूत रस्सी के सहारे युवाओ द्वारा घुमाया जाता है। मनौती वाला शख्स घूमते हुए अपने हाथ में रखा नारियल और नींबू छोड़ देता है।
यह पूजा अर्चना का दौर पंचमी तक चलाता है। मेघनाथ मेले की व्यवस्था संभालने पांढुर्णा पुलिस बल ने मोर्चा शांतिपूर्ण ढंग से संभाला। देर शाम को ग्राम पंचायत वाडेगांव के द्वारा मेले में पधारे श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की विशेष व्यवस्था बनाई गई थी। इस दौरान लोगों के चहरे पर मेघनाथ मेले में उत्साह और जोश देखा गया। आसपास के ग्राम सहित दूर दराज से भी लोग बड़ी संख्या में पूजा के लिए पहुंचकर मेले का हिस्सा बने। मेघनाथ पूजा के लिए बताशे की माला बेची जाती है। शकर से बनी बताशे खरीद कर घर में मुंह मीठा करते है। जैसे जैसे शाम ढलती जाति है वैसे वैसे मेला अपने शबाब पर आता है।