मध्यप्रदेश इस बार बलराम जयंती और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर अद्वितीय सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव का साक्षी बनेगा। संस्कृति विभाग 14 से 18 अगस्त 2025 तक पूरे प्रदेश में “श्रीकृष्ण पर्व : हलधर महोत्सव एवं लीलाधारी का प्रकटोत्सव” का आयोजन कर रहा है। इस अवधि में प्रदेश के 3000 से अधिक श्रीकृष्ण मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान और 155 से अधिक प्रमुख स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे, जिनमें 1000 से अधिक कलाकार भजन, कीर्तन, नृत्य और नाटिकाओं की प्रस्तुतियां देंगे। मंगलवार को मीडिया से बातचीत में संस्कृति विभाग के संचालक एनपी नामदेव और मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य बलराम जी और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन, उनके योगदान और सांस्कृतिक महत्त्व को प्रदर्शित करना है। बलराम जी को हलधर के रूप में कृषि संस्कृति का जनक माना जाता है, जबकि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपाल रूप में पशुपालन और संरक्षण का संदेश दिया। इन प्रसंगों को विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाएगा।
सीएम के आंगन में खेलेगे लड्डू-गोपाल
जन्माष्टमी के दिन मुख्यमंत्री निवास पर विशेष कार्यक्रम होगा, जिसमें 1000 से अधिक बाल गोपाल, श्रीकृष्ण की वेशभूषा में अपने परिजनों के साथ शामिल होंगे। इस्कॉन मंदिर के माध्यम से गोपाल कृष्ण का अभिषेक किया जाएगा और उपस्थित अतिथियों एवं बाल गोपालों को माखन-मिश्री, लड्डू गोपाल की प्रतिमा, मोरपंख और ‘हर घर गोकुल’ प्लेकार्ड भेंट किए जाएंगे।
सांदीपनि आश्रम और नारायण धाम में विशेष आयोजन
उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में 16 से 18 अगस्त तक तीन दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व होगा, जिसमें श्रीकृष्ण लीला, बांसुरी वादन, बरेदी और ठाठ्या लोकनृत्य तथा भक्ति गायन की प्रस्तुतियां होंगी। वहीं नारायणा धाम मंदिर प्रांगण में 14 से 18 अगस्त तक रासलीला, गणगौर नृत्य और भक्ति संगीत की सरिता बहेगी। जानापाव में, जहां भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था, 16 अगस्त को भक्ति गायन होगा। धार जिले के अमझेरा में, जहां श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी हरण किया था, 16-17 अगस्त को दो दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व आयोजित होगा। पन्ना के बलदेवजी और जुगल किशोर मंदिरों में भक्ति गायन, बरेदी नृत्य और लोक प्रस्तुतियां होंगी। दमोह, खातेगांव और रीवा में एक दिवसीय कार्यक्रम होंगे, जबकि मंडला में हलधर लीला, लोकनृत्य और नृत्य नाटिकाएं होंगी। उमरिया में 14 से 16 अगस्त तक भक्ति गीत, नृत्य नाटिकाएं और बैंड प्रस्तुतियां होंगी।
शहडोल और अन्य जिलों में रंगारंग आयोजन
शहडोल जिले में मानस भवन सभागार, ग्राम छतवई और राधास्वामी मंदिर, धनपुरी में तीन दिनों तक रासलीला, भक्ति गायन और नृत्य प्रस्तुतियां होंगी। इन सभी आयोजनों में कलाकारों की भागीदारी प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर को और समृद्ध करेगी।
जानापाव में 16 अगस्त को भक्ति गायन, वहीं अमझेरा (धार) में 16-17 अगस्त को बधाई नृत्य और नृत्य-नाटिका की प्रस्तुतियां होंगी।
पन्ना के बलदेवजी और जुगल किशोर मंदिर में 14 और 16 अगस्त को भक्ति गायन, बरेदी और बधाई नृत्य होंगे।
दमोह, खातेगांव और रीवा में भी एक दिवसीय श्रीकृष्ण पर्व आयोजित होगा।
मंडला, उमरिया और शहडोल में भी होगी विशेष छटा
मंडला में 14 अगस्त को हलधर लीला, बरेदी लोकनृत्य और भक्ति गायन, जबकि 16 अगस्त को महिष्मति घाट पर नृत्य-नाटिका और भजन संध्या होगी।
उमरिया के पाली में 14-16 अगस्त को भक्ति गायन, ओडिशा के कलाकारों का नृत्य और श्रीकृष्ण नृत्य-नाटिका होगी।
शहडोल में 14-16 अगस्त तक तीन अलग-अलग स्थानों पर रासलीला, भक्ति गायन और नृत्य-नाटिका की प्रस्तुतियां होंगी।
मंदिरों की साज-सज्जा प्रतियोगिता और पुरस्कार
प्रदेश के 3000 से अधिक मंदिरों में श्रृंगार प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी, जिनमें अनुपम श्रृंगार के लिए 1.50 लाख रुपये के तीन, 1 लाख रुपये के पांच और 51 हजार रुपये के सात पुरस्कार दिए जाएंगे। इसके अलावा, राज्य के सभी होटलों में जन्माष्टमी मनाने की अनोखी पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री समय-समय पर गीता भवनों की स्थापना हेतु भूमिपूजन भी करेंगे। इस प्रकार, बलराम जयंती और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का यह महापर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की समृद्ध परंपरा, कला और संस्कृति के व्यापक प्रदर्शन का अवसर भी बनेगा।