Indore : मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने तलाक के एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि पति द्वारा पत्नी को नौकरी छोड़ना और पति के साथ जीवन जीने के लिए जबरदस्ती करना सिद्धांतों की श्रेणी में आता है। अदालत ने पत्नी की तलाक की दलील पर विचार करते हुए अदालत के फैसले को पलट दिया।
जानें क्या हैं पूरा मामला?
इंदौर में केंद्र सरकार के एक निगम में प्रबंधक के तौर पर 33 साल की महिला ने अपने पति के खिलाफ पारिवारिक अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। महिला का आरोप था कि उसका पति उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहा था और उस पर सरकारी नौकरी के लिए दबाव बना रहा था, ताकि वह भोपाल में अपने पति के साथ रह सके।
महिला वकील राघवेंद्र सिंह रघुवंशी ने बताया कि महिला और उसका पति 2014 में शादी के बाद भोपाल में रहने लगे थे। 2017 में महिला को सरकारी निगम में नौकरी मिल गई, लेकिन उनके पति की हिस्सेदारी थी। इस कारण पति का बुरा हाल हो गया और वह महिला पर दबाव बनाने लगी कि वह अपनी नौकरी के लिए भोपाल में रहने लगी। महिला के तलाक के बाद वह के बीच प्रबलता बढ़ गई, जिससे महिला मानसिक तनाव का शिकार हो गई और तलाक लेने का फैसला लिया गया।
उच्च न्यायालय का आदेश
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैट और जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्मपाल की बेंच ने अविश्वास प्रस्ताव पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपने साथी को नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, खासकर तब जब यह उनके जीवन की व्यक्तिगत पसंद हो। कोर्ट ने तलाक को जायज दोषी करार देते हुए इसे मनोवैज्ञानिक मंजूरी दे दी।