याद बहुत आता है अपना प्यारा गांव टेढ़ी-मेढ़ी पगडंडी पर बरगद की छांव

राहुल जैन/ललितपुर: उत्तर प्रदेश स्तरीय साहित्यक संस्था उत्तर प्रदेश साहित्य सभा अतिथि लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा के साथ नामदेव समाज अध्यक्ष दीपक नामदेव कन्हैया नामदेव, दीपक पटवारी की गरिमामयी उपस्थिति रही । गोष्ठी कार्यवाहक बृजमोहन संज्ञा ने किया। बैठक में मुख्य अतिथि बरा दीप प्रज्वलन, एवं पुष्पाजलि अर्पित की गई ।

तद्पश्चात अखिपेश शांडिल्य द्वारा सरस्वती वाचन कर शुभारम्भ किया गया। संस्था के संयोजक महेश नामदेव ने उद्देश्यों एवं आगामी कार्यवृत्त प्रस्तुत किया गया महामंत्री अखिलेश सांडिल्य ने सुदलीकरण व विकास हेतु योजना प्रस्तुत की गई। द्वितीय चरण में सरस काव्य गोष्ठी मे कवियों ने होती पर रचनाएं प्रस्तुत की ।

बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रत्येक माह के द्वितीय शनिवार को सायं काप निर्धारित स्थानपर मासिक बैठक नियमित विजाए साहित्य सभा की आर्थिक आवश्यकता के पूर्ति हेतु आयोजको से प्राप्त आमेशल पर आर्थिक सहयोग प्राप्त किया जाए। नवो दिन रचना कारो को प्रोत्साहन एवं परिष्करण का अवसर प्रदान किया जाए ।

गोकियो विद्वान साहित्य कारों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित कर मार्गदर्शन प्राप्त किया जाए इस अल सर पर अखिषेश शाडिल्य ने सुमधुर कविता’ जरूरी है जरुरीही अहम का त्याम जीवन मे, वही तो पाओगे जितना तुम्हारा भाम जीवनमे” हास्य लक्ष्य कवि महेशनामदेव ने होगाओ को खून हंसाया गुदगुदाया उनकी होपी हाळात पर कुन्डे पी रचना 14 ललितपुर की मासिक बैठक एवं काव्य गोष्ठी स्थानीय सत्यनारायण समाज मंदिर पर सम्पन्न हुई बैठक की अध्यक्षता विनोद शर्मा एवं मुख्य भाषा पर. नतम सॉल्वड पेपर पैलधाई हुड़दंग किते है |

हुरियारन की टॉक हिरा गई मैं कोरी चुनर पैन के निकरी और कोरी की कोरी आ गई ‘ कवि शील-चत्र शास्त्री की रचना – 4 याद बहुत आता है अपना प्यारा गाँव के-के पाठक कविने कहा कि- टेढी मेढ़ी पगडंडी पर वो बरगद की छाँव, 11 आ गए होरी के हुड़दंगा, लेकै हुलिया रंग-बिरंगा ” उर्दू के शायर जहीर ललितपुरी” हमेशा मधुर आचरण चाहती है, मुहब्बत नवीनीकरण चाहती है?

विनोद शर्माने बृजघेपी का चित्र खीचा- 4 गाल गुलाल के देर लिए जब चंद्रमुखी चितवे वन भोरी पीम को द्रीय धेरै कैसे धीर जो गोरी करे मुस्कान की होरी, मुहम्मद शकील की रचना – मैं तुझपे करवान मे मेरे हिन्दुस्तान ” की खूब सराघ गया। बरिष्ठ कवि पी.एन. पस्तोर ने कहा – मन्दिर मस्जिद से वहकर है दिखमे दया दिखाना, माता पिता के चरणों की धूकि माथे पर नित्य लगाना । लक्ष्मीनारायण विश्वकर्मा के आशी वचन के वाद व ठक/गोष्ठी सम्यान हुई। नाशनम संयोजक उप-साहित्तसि|

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