IAF Evacuation Plan: ईरान और इजरायल के बीच चल रहे युद्ध की वजह से वहां फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार ने तेजी से कदम उठाना शुरू कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने इवैक्यूएशन ऑपरेशन की योजना तैयार कर ली है और भारतीय वायुसेना भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। ईरान में इस समय करीब 10,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 1,500 छात्र बताए जा रहे हैं। सरकार की योजना है कि पहले इन भारतीयों को सड़क मार्ग से अर्मेनिया बॉर्डर तक पहुंचाया जाएगा और फिर वहां से उन्हें फ्लाइट से भारत लाया जाएगा।
कैसे होता है इवैक्यूएशन ऑपरेशन?
जब किसी देश में युद्ध या संकट जैसी स्थिति होती है और वहां भारतीय फंस जाते हैं, तो सबसे पहले कोशिश यही की जाती है कि सिविल एयरक्राफ्ट (जैसे एयर इंडिया) के ज़रिए उन्हें निकाला जाए। अगर हालात बहुत खराब हो जाएं और वहां सिविल फ्लाइट्स का ऑपरेशन रुक जाए, तो फिर भारतीय वायुसेना (IAF) को जिम्मेदारी दी जाती है। एयरफोर्स पहले से ही स्थिति को मॉनिटर करती रहती है और जैसे ही सरकार से आदेश मिलता है, इवैक्यूएशन की फुल प्रूफ प्लानिंग के साथ काम शुरू कर देती है।
भारतीय वायुसेना का शानदार रिकॉर्ड
भारतीय वायुसेना को संकटग्रस्त इलाकों से नागरिकों को सुरक्षित निकालने में विशेष अनुभव है। अब तक कई बड़े ऑपरेशनों में उसने अहम भूमिका निभाई है। 2006 में ऑपरेशन सूकून के तहत 2,280 लोगों को, 2015 में यमन संकट के दौरान सना से नागरिकों को, 2021 में ऑपरेशन देवी शक्ति से 800 भारतीयों को अफगानिस्तान से निकाला गया। 2022 में ऑपरेशन गंगा से यूक्रेन से 18,000 और 2023 में ऑपरेशन कावेरी से सूडान से 3,900 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाया गया। इन सभी मिशनों में भारतीय वायुसेना की तत्परता और दक्षता की सराहना हुई है।
क्यों खास है एयरफोर्स की मदद?
भारतीय वायुसेना के पास C-17 ग्लोबमास्टर और IL-76 जैसे बड़े ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट होते हैं। इनमें सैकड़ों यात्रियों को एक साथ लाया जा सकता है। खास बात यह है कि इनके पायलट्स को वॉर ज़ोन में उड़ान भरने का अनुभव होता है। यदि कुछ घंटों की भी सुरक्षित विंडो मिलती है, तो वायुसेना उसी समय ऑपरेशन को अंजाम देती है। यमन संकट के समय सना एयरपोर्ट से इसी तरह भारतीयों को एयर इंडिया के ज़रिए लाया गया था, फिर जिबूती एयरबेस से वायुसेना के विमानों में उन्हें भारत भेजा गया।