Bhopal news : मध्य प्रदेश के IAS अधिकारी संतोष वर्मा एक बार फिर विवादों में हैं। अजाक्स (मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी एवं कर्मचारी संघ) के नवनियुक्त प्रांताध्यक्ष वर्मा ने आरक्षण को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की, जिस पर ब्राह्मण समाज ने तीखी आपत्ति जताई। हालांकि, बयान पर मचे बवाल के बाद उन्होंने खेद जताते हुए माफी मांग ली है।
यह पहली बार नहीं है जब संतोष वर्मा का नाम विवादों से जुड़ा है। इस नए मामले ने उनके पुराने आपराधिक रिकॉर्ड को फिर से चर्चा में ला दिया है, जब उन पर IAS प्रमोशन पाने के लिए जज के फर्जी हस्ताक्षर वाले दस्तावेज बनाने का गंभीर आरोप लगा था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
क्या है ‘ब्राह्मण बहू’ वाला बयान?
भोपाल में आयोजित अजाक्स के प्रांतीय अधिवेशन को संबोधित करते हुए IAS संतोष वर्मा ने सामाजिक समरसता और आरक्षण पर अपनी बात रखी। इसी दौरान उन्होंने कहा – “आरक्षण तब तक देना चाहिए जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या उससे संबंध नहीं बनता।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने इसे ‘ब्राह्मण वर्ग के साथ खिलवाड़ और अमर्यादित’ बताते हुए कड़ी निंदा की।
बवाल के बाद मांगी माफी
चारों तरफ से हो रही आलोचना के बाद संतोष वर्मा ने अपने बयान पर सफाई दी और माफी मांगी। उन्होंने कहा, “मेरे बयान से किसी को खेद पहुंचा हो, मैं माफ़ी मांगता हूं। मेरा ये मानना है कि जब अन्य समाजों की तरफ से रोटी-बेटी व्यवहार शुरू हो जाएगा तो आरक्षण की बात करनी नहीं पड़ेगी।”
उन्होंने आगे कहा, “इसी बीच में मैंने बेटियों के कन्यादान की बात कही थी… मेरे वक्तव्य का मतलब कोई विचार नहीं था, अगर किसी को मेरी बात से ठेस पहुंचा है तो मैं खेद व्यक्त करता हूं।”
जब प्रमोशन के लिए बनाए थे फर्जी डॉक्यूमेंट्स
संतोष वर्मा का विवादों से पुराना नाता रहा है। साल 2021 में राज्य सेवा से IAS पद पर प्रमोट होने के दौरान उन पर धोखाधड़ी का गंभीर आरोप लगा था। उन्होंने प्रमोशन के लिए इंदौर की एक अदालत में दो जाली दस्तावेज पेश किए थे।
एक दस्तावेज में खुद को एक मामले में बरी बताया गया था, जबकि दूसरे में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने की बात कही गई थी। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि जिन जज के नाम से ये दस्तावेज बनाए गए थे, उन्होंने खुद ही इस धोखाधड़ी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। ताजा विवाद ने उनके उसी पुराने मामले को एक बार फिर लोगों के सामने ला दिया है।