IAS अफसरों को नहीं मिली कलेक्टरी और बना दिया ‘कमिश्नर’

सीताराम ठाकुर, भोपाल

राज्य सेवा से प्रमोशन पाकर आईएएस ( IAS ) बने हों अथवा सीधी भर्ती के आईएएस। हर अफसर की एक बार कलेक्टर के रूप में काम करने की तमन्ना रहती है, जबकि उनमें कितना भी टेलेंट क्यों न हो। कलेक्टर नहीं बन पाने की वजह से उनकी इच्छा अधूरी रह जाती है। ऐसे ही कई आईएएस अफसर हैं, जो सीनियर होने के बाद भी कलेक्टर नहीं बन सके और ऊपर तक पहुंच रखने वाले उनसे जूनियर कलेक्टरी संभाल रहे हैं। खासकर महिला आईएएस के साथ तो हमेशा से ही भेदभाव होता रहा है।

मध्यप्रदेश में IAS के 469 पद स्वीकृत

मध्यप्रदेश कैडर में आईएएस ( IAS ) अफसरों के 469 पद स्वीकृत है। केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अफसरों सहित वर्तमान में 383 अफसर कार्यरत हैं। मप्र में ऐसे भी आईएएस अफसर रहे हैं, जो बिना कलेक्टर बने रिटायर हो गए। इनमें बेला देवर्षि शुक्ला, भगत सिंह कुलेश, रमेश थेटे, उर्मिल मिश्र के नाम शामिल हैं। रमेश थेटे को सरकार से अनबन के चलते कलेक्टर नहीं बनाया गया। वहीं कलेक्टरी नहीं मिलने के बाद भी आयुक्त, सचिव के रूप में प्रमोशन पाने वालों में पहला नाम उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला का है, इन्हें किसी भी जिले की कलेक्टरी नहीं मिली, लेकिन सरकार ने इन्हें सचिव के पद पर प्रमोट करते हुए आयुक्त पुरातत्व जरूर बना दिया। वहीं 2009 बैच की शैलबाला मार्टिन तो केवल दो महीने के लिए ही कलेक्टर बन सकीं। इसी तरह 2010 बैच के सुरेश कुमार बिना कलेक्टर बने सचिव राजस्व मंडल बना दिए गए हैं।

सीनियर होने पर भी इन IAS को नहीं मिली कलेक्टरी

2008 बैच की IAS उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला के अलावा 2010 बैच की सपना निगम, 2011 बैच की नेहा मारव्या, सरिता बाला प्रजापति, प्रीति जैन तथा 2012 बैच की भारती ओगरे को अभी तक कलेक्टर नहीं बनाया। अन्य अफसरों में 2010 बैच के चंद्रशेखर बालिम्वे, 2011 बैच के गिरीश शर्मा, रत्नाकरक्षा, हरिसिंह मीना, अमरपाल सिंह कलेक्टरी पाने से वंचित रहे हैं। जबकि सीधी भर्ती के आईएएस में 2010 से लेकर 2011, 2012, 2013 और 2014 बैच तक के अधिकांश अफसर कलेक्टर बन चुके हैं। इनमें से कुछ तो दो से तीन जिलों में कलेक्टरी संभाल चुके हैं।

इन्हें एक बार ही मिला मौका

आलोक कुमार सिंह, ललित दाहिमा, राकेश कुमार श्रीवास्तव, वंदना वैद्य, अनुभा श्रीवास्तव, राकेश सिंह, शशि भूषण सिंह, प्रवल सिपाहा, अशोक कुमार, राम प्रताप सिंह जादौन, छोटे सिंह, गौतम सिंह, अभिषेक सिंह, बसंत कुर्रे, शिवराज सिंह वर्मा, वीरेंद्र कुमार, एमआर खान, चंद्रमोली शुक्ला, रवीेंद्र कुमार चौधरी तथा दिनेश श्रीवास्तव आदि के नाम शामिल हैं।

सीनियरिटी के हिसाब से बनाए

सरकार को चिन्ह-चिन्ह कर अधिकारियों को कलेक्टर नहीं बनाना चाहिए, बल्कि सीनियरिटी के हिसाब से कलेक्टरी देना चाहिए। जिस तरह सीधी भर्ती के आईएएस के साथ किया जाता है। इन्हें भी मौका मिलना चाहिए, चाहे छोटा जिला ही क्यों न दिया जाए। इससे उनका टेलेंट सामने आएगा।
– राजीव शर्मा, पूर्व आईएएस