IDA में अब बनेगी पूरी सरकार

विपिन नीमा, इंदौर

आईडीए ( IDA ) में नियुक्तियों को लेकर हलचल शुरु हो गई है। लोकसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब मध्य प्रदेश में निगम मंडलों और विकास प्राधिकरणों आईएएस, आईपीएस और एसएएस अफसरो के प्रमोशन – तबादले और नेताओं की निगम मंडलों, विकास प्राधिकरणों, बोर्ड और आयोग में राजनीतिक नियुक्तियों का सिलसिला शुरू होने वाला है। पहले अफसरों के ट्रांसफर होगे उसके बाद नेताओं की नई नियुक्तियां होगी। हालांकि ट्रांसफर और नियुक्तियों में थोड़ा समय लगेगा।

IDA में बाहर के नेता की नियुक्ति से खूब नाराज हुए थे नेता

इंदौर विकास प्राधिकरण ( IDA ) के संचालक मंडल में शामिल होने के लिए हर नेता की नजर लगी रहती है, अध्यक्ष , उपाध्यक्ष और संचालन का पद पाने के लिए नेताओं में जमकर प्रतिस्पर्धा होती है। जहां तक इंदौर विकास प्राधिकरण का सवाल है तो मौजूदा सांसद शंकर लालवानी पहली बार आईडीए के अध्यक्ष बने थे तब उन्हें पूरा संचालक मंडल मिला था, लेकिन पिछले दो बार से इंदौर विकास प्राधिकरण में बगैर बोर्ड के सिंगल अध्यक्ष की नियुक्त्रिहो रही है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने अपने कार्यकाल के दौरान में इंदौरी नेताओं को निराश करते हुए बाहरी नेता देवास के जयपालसिंह चावड़ा को आईडीए का अध्यक्ष बनाया था तब इस नियुक्ति को लेकर इंदौरी नेता संगठन से काफी खफा भी हुए थे। आईडीए में दो बार ऐसा हुआ जहां पर केवल अध्यक्ष को ही बैठाया गया था। पहली बार शंकर लालवानी बगैर संचालक मंडल के अध्यक्ष बने। लालवानी का कार्यकाल पूरा होने के बाद शिवराजसिंह चौहान ने इंदौर के नेताओं को नजर अंदाज करते हुए देवास के नेता जयपालसिंह चावड़ा को आईडीए बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया। लालवानी और चावड़ा ने संचालक मंडल बनने नहीं दिया था और खुद ही सर्वेसर्वा बने बैठे थे। हालांकि विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले पूर्व सीएम शिवराजसिंह चौहान ने गोलू शुक्ला को आईडीए का उपाध्यक्ष बना दिया था, वे कुछ दिनों तक उपाध्यक्ष के पद पर काम भी किया था, लेकिन विधानसभा का टिकट मिलते ही उन्हें उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

नगर निगम में भी एल्डरमैनों को भी नियुक्त किया जाएगा

नेताओं ने अपने बड़े नेताओं के नेताओं के चक्कर लगाना शुरू कर दिए हैं। जुलाई के लास्ट वीक तक राजनीतिक नियुक्तियां संभव है। नई सरकार बनने के बाद डॉक्टर मोहन यादव ने लोकसभा चुनाव से पहले सारी राजनीतिक नियुक्तियां निरस्त कर दी थी। अब मुख्यमंत्री नए सिरे से विकास प्राधिकरणो और निगम मंडलों में नई नियुक्तियां करने जा रहे हैं। इस बार इंदौर विकास प्राधिकरण में पूरा संचालक मंडल रहेगा। इसके अलावा नगर निगम में भी एंडरमैनों को भी नियुक्त किया जाएंगा। नई नियुक्तियों को लेकर जून के लास्ट वीक में संगठन की बैठक भी होने वाली है। निगम मंडलों और विकास प्राधिकरणों में उन नेताओं को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्होंने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने के बाद भी पार्टी के लिए डटकर काम किया था।

ये मिलती हैं सुविधाएं…

  • केबिनेट मंत्री दर्जा – 45 हजार रु प्रतिमाह और मानदेय
  • राज्यमंंत्री दर्जा – 35 हजार मानदेय
  • सरकारी गाड़ी – 1 हजार किमी तक का डीजल निर्धाति
  • सरकार भत्ता – 3 हजार रु
  • निजी सचिव – सरकार की तरफ से वेतन
  • ऑफिस स्टॉफ – वेतन सरकार की तरफ से

लोकसभा चुनाव से पहले निरस्त पड़ी हैं सभी नियुक्तियों

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने मप्र की कमान संभालने के बाद लोकसभा चुनाव से पहले यानि 13 फरवरी 2024 को शिवराज सरकार द्वारा विकास प्राधिकरणों और निगम मंडलों में की गई सभी राजनीतिक नियुक्तियों को निरस्त कर दी थी। इन सभी की नियुक्ति शिवराज सरकार के समय हुई थी। निगम मंडल , विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को कैबिनेट और राज्य मंत्रियों का दर्जा प्राप्त था। बताया गया है की लोकसभा चुनाव की व्यस्तताओं के कारण सरकार ने नई नियुक्तियां नहीं की। अब चुंकि चुनाव संपन्न हो गए है. सरकार बहुत जल्दी इस दिशा में कदम उठा रही है। प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरणों इंदौर, उज्जैन, देवास कटनी जबलपुर ग्वालियर रतलाम सिंगरौली आदि में नई नियुक्यिां की जाना है। संगठन भी यही चाहता है कि प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियां जल्द हो।

इस बार पूरा संचालक मंडल रहेगा आईडीए में

मप्र के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को इस बात की जानकारी है कि आईडीए में विगत दो बार से केवल अध्यक्ष की ही नियुक्ति की गई थी। शेष पदों पर नियुक्त नहीं होने से इंदौरी नेता संगठन पर खूब नाराज हुए थे। अब मुख्य्मंत्री इंदौर में आधा अधूरा संचालक मंडल नहीं रहेगा। सभी पदों पर नई नियुक्तियां की जाएंगी। जो पार्टी के सदैव तत्पर रहते है ऐसे नेताओं को पदस्थ किया जाएगा। संचालक मंडल में अध्यक्ष समेत 9 पदाधिकारी रहते हैं जिनमें तीन उपाध्यक्ष और पांच संचालक रहते हैं। बताया जाता है कि वैसे राजनीतिक नियुक्तियां क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण को साधने के लिए भी की जाती हैं। इंदौर में कई नेता प्राधिकरणों और निगम-मंडलों की आस में लगे हैं और उन्होंने अभी से ही अपने-अपने बड़े बड़े नेताओं के यहां चक्कर लगाना शुरु कर दिया है। हालांकि वर्तमान मे दो निगम मंडल ऐसे है जिन पर अभी अध्यक्ष पद बरकरार है। इसमें मप्र अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम में सावन सोनकर और मप्र राज्य सफाई कर्मचारी आयोग में प्रताप करोसिया अध्यक्ष पद पर पदस्थ है।

जिन्होंने पार्टी के लिए काम किया उन्हें इनाम में मिलेगी नियुक्तियां

सरकार ने तय कर लिया है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पार्टी के लिए डटकर काम करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को जल्द ही उनके कामों का प्रतिफल मिलने वाला है। डॉ मोहन यादव सरकार जल्द ही ऐसे नेताओं को पुरस्कार के रुप में नियुक्तियां की जाएंगी जिन्होंने चुनावों में टिकट नहीं मिलने के बावजूद भी पार्टी के लिए खुलकर काम किया। ऐसे नेताओं की सूची भी तैयार की जा रही है। संगठन चाह रहा है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ये नियुक्तियां की जाएं, ताकि यह देखा जाए कि जिस नेता को जहां जवाबदारी दी गई थी, वहां पार्टी को कितने वोट मिले। इसी प्रकार भाजपा में एल्डरमैन के लिए भी कई दावेदार हैं। जिन्होंने चुनाव में काम किया और जिन्हें निगम चुनाव में टिकट नहीं मिला था, ऐसे नेताओं को एल्डरमैन बनाया जा सकता है। इंदौर में पूर्व महापौर मालिनी गौड के समय एल्डरमेन की नियुक्तियां हुई थी, लेकिन महापौर पुष्यमित्र भार्गव के कार्यकाल में अभी किसी भी एल्डरमेन की नियुक्ति नहीं हुई है। सम्भवत: इस बार होने की पूरी उम्मीद है।