मतदाता सूची पुनरीक्षण में जरूरी होगी पहचान, नागरिकता साबित करने के लिए साथ रखें ये 11 दस्तावेज

ग्वालियर जिले में मतदाता सूची की मैपिंग का काम पूरा कर लिया गया है। इस प्रक्रिया के बाद स्पष्ट हुआ है कि ग्वालियर शहर में लगभग 80 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 65 प्रतिशत मतदाताओं को पुनरीक्षण के दौरान अपनी नागरिकता के प्रमाण पत्र और अन्य आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। जिला निर्वाचन कार्यालय ने इस संबंध में रिपोर्ट तैयार कर ली है, जिसे निर्वाचन आयोग को भेजा जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि अक्टूबर माह से घर-घर जाकर इस पुनरीक्षण अभियान की शुरुआत की जाएगी।

22 साल बाद व्यापक पुनरीक्षण

प्रदेश में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण करीब दो दशक बाद हो रहा है। पिछली बार यह बड़ा अभियान 2003 में चलाया गया था। इस बार निर्वाचन आयोग ने 2003 की मतदाता सूची और 2025 की मौजूदा सूची का आपसी मिलान कराया। इस तुलना में सामने आया कि बड़ी संख्या में ऐसे मतदाता हैं जिनके नाम 2003 की सूची में दर्ज ही नहीं थे। ऐसे सभी मतदाताओं को अब अपनी नागरिकता सिद्ध करने के लिए दस्तावेज दिखाने होंगे।

छह विधानसभाओं में मिला अंतर

बीएलओ ने कलेक्ट्रेट में बैठकर 2003 और 2025 की मतदाता सूचियों का मिलान किया और ऑनलाइन डेटा फीड किया। ग्वालियर पूर्व विधानसभा चूंकि 2003 के बाद बनाई गई थी, इसलिए यहां केवल 15 प्रतिशत मतदाताओं के नाम ही पुराने रिकॉर्ड से मेल खा सके। वहीं, ग्वालियर दक्षिण और ग्वालियर विधानसभा में लगभग 20 प्रतिशत नाम मिले। डबरा, भितरवार और ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्रों में यह अनुपात 35 प्रतिशत के आसपास रहा। उप जिला निर्वाचन अधिकारी भूमिजा सक्सेना ने बताया कि इस पूरे मिलान कार्य की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

किन्हें दिखाने होंगे दस्तावेज

जिन मतदाताओं के नाम पहले से ही 2003 की एसआईआर में शामिल हैं, उन्हें किसी भी प्रकार का दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी। वे सिर्फ अपने नाम की पुष्टि करेंगे और गणक पत्रक भरेंगे। इसी तरह, जिन मतदाताओं के माता-पिता में से किसी एक का नाम 1 जनवरी 2003 तक की वोटर लिस्ट में शामिल है, उन्हें भी कोई दस्तावेज नहीं दिखाना पड़ेगा, बल्कि केवल माता-पिता का एपिक नंबर बताना होगा। हालांकि, 1987 के बाद जन्मे ऐसे मतदाता, जिनके नाम 2003 के बाद सूची में जुड़े हैं, उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनके माता-पिता का नाम वोटर लिस्ट में किस जगह दर्ज था। वहीं, जिन मतदाताओं के नाम 2003 की वोटर लिस्ट में कहीं नहीं मिले और अब सूची में हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से नागरिकता के प्रमाण पत्र दिखाने होंगे।

ये दस्तावेज होंगे मान्य

पुनरीक्षण प्रक्रिया में अपनी नागरिकता और पहचान साबित करने के लिए मतदाताओं को 11 प्रमुख दस्तावेजों में से कोई भी प्रस्तुत करने की अनुमति होगी। इनमें कर्मचारी पहचान पत्र, बैंक, पोस्ट ऑफिस या एलआईसी द्वारा जारी आईडी, प्राधिकृत एजेंसी से जारी जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, विश्वविद्यालय या बोर्ड से जारी अंकसूची व प्रमाण पत्र, स्थानीय निवास प्रमाण पत्र, वन अधिकारी का प्रमाण पत्र, जाति प्रमाण पत्र (एससी/एसटी/ओबीसी), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन से संबंधित दस्तावेज, परिवार पंजीयन और सरकार द्वारा जारी जमीन या मकान के प्रमाण पत्र शामिल हैं।

आगे की तैयारी

निर्वाचन आयोग इस पूरे डेटा को पुनरीक्षण कार्यक्रम से पहले राजनीतिक दलों के समक्ष भी रख सकता है ताकि पारदर्शिता बनी रहे। अक्टूबर में शुरू होने वाले डोर-टू-डोर सर्वे में बीएलओ प्रत्येक मतदाता से मिलकर उनके दस्तावेजों की जांच करेंगे और आवश्यक रिकॉर्ड अपडेट करेंगे। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया समय लेने वाली जरूर है, लेकिन इसके बाद मतदाता सूची और अधिक सटीक, पारदर्शी और विश्वसनीय हो जाएगी।